tag:blogger.com,1999:blog-3991743732606832926.post3791416863107689090..comments2023-07-07T02:43:20.427-07:00Comments on Shuruwat : जिंदगी सिखाती है कुछ: अगर सीता को दशरथ की बीवी बना दें तो ...राजीव जैनhttp://www.blogger.com/profile/07241456869337929788noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-3991743732606832926.post-47724435279695230192008-02-27T05:27:00.000-08:002008-02-27T05:27:00.000-08:00जब मुगल ऐ आजम बनी थी तब काल्वी और करनी सेना के लोग...जब मुगल ऐ आजम बनी थी तब काल्वी और करनी सेना के लोग कहाँ थे. वैसे फिल्म चाहे इतिहास पर ही आधारित हो लेकिन होती काल्पनिक ही है. इस को लेकर विवाद करना उचित नहीं है. रहा सवाल फिल्म देखकर परीछा मे सवाल का जवाब देने का, वह फिल्म देखने से नही बुक पढने से आएगा.khurapateehttps://www.blogger.com/profile/06146782490651668423noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3991743732606832926.post-75197276489681955292008-02-22T09:25:00.000-08:002008-02-22T09:25:00.000-08:00इस मामले में मुझे बहुत ज्यादा जानकारी तो नहीं है, ...इस मामले में मुझे बहुत ज्यादा जानकारी तो नहीं है, दुर्भाग्य से मैंने अभी तक यह फिल्म भी नहीं देखी है, लेकिन मैं इतना जरूर कहना चाहूंगा कि इस तरह के विवाद नहीं होने चाहिये। अगर इतिहास को कोई निर्माता अपनी फिल्म का विषय बनाता है तो यह ध्यान रखना जरूरी है कि इतिहास से कोई गंभीर छेड़छाड़ न हो। इससे बचने का तरीका यह हो सकता है कि फिल्म को फिल्म की तरह ही बनाया जाए। पात्रों के नाम बदल कर रखे जाएं। ताकि देखने वाले भी फिल्म को फिल्म की तरह ही देख सकें। अब यह तो नहीं हो सकता न कि फिल्म सिर्फ सब कुछ वैसा ही हो और दर्शकों से उम्मीद की जाए कि वो मूकदर्शक बन जाएं। हां, विरोध का यह तरीका भी नहीं होना चाहिये कि तोड़फोड़ की जाए, आगजनी की जाए। कुछ मिलाकर दोनों पक्षों को सुधरना होगा। बहुत ही सेंसटिव मामला है।targethttps://www.blogger.com/profile/04585874991885293866noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3991743732606832926.post-71236679391023433882008-02-19T23:38:00.000-08:002008-02-19T23:38:00.000-08:00मेरे खयाल से तो एतिहासिक, धार्मिक, किसी भी तरह की ...मेरे खयाल से तो एतिहासिक, धार्मिक, किसी भी तरह की फिल्म ना बनाई जाए । पात्रों के नाम भी कखग , अबस रखे जाएँ । ना राखी बाँधना दिखाया जाए ना होली, दीवाली । ना भला आदमी मुसलमान या इसाई दिखाया जाए ना बुरा कोई ब्राह्मण या बनिया । ना दिखाया जाए कि कोई परिवार किसी विशेष प्रदेश का है । यदि कहीं भी कोई सार्थक सी कहानी दिखे तो उसे गल्ती से भी हाथ में ना लिया जाए । यदि कोई अभिनेता या अभिनेत्री फैशन या किसी निरर्थक से विषय के सिवाय किसी सार्थक या सामाजिक विषय पर मुँह खोले तो उसे भी काम ना दिया जाए । केवल वे कलाकार ही लिये जाएँ जो मीका , या रिएलिटी शो जैसे अनरियल से विवादों से जुड़े हों । वैसे भी लोगों को नाच गाने, मारपीट पसन्द है वह ही या फिर डॉन या तस्कर दिखाए जाएँ ।<BR/>यह सब करने से देश में काफी तोड़ फोड़ व लड़ाई झगड़े रोके जा सकते हैं और हम जैसे लोगों जिन्हें फिल्मों से कुछ लेना देना नहीं है थोड़ा शान्ति से रह सकते हैं ।<BR/>ये केवल सुझाव हैं , आगे जोधाबाई की तुलना सीता से करने के कारण भी हम कुछ बसों को जला सकते हैं । सच तो यह है "जलाने वालों को जलाने का बहाना चाहिये ।"<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.com