tag:blogger.com,1999:blog-3991743732606832926.post7115209878242707584..comments2023-07-07T02:43:20.427-07:00Comments on Shuruwat : जिंदगी सिखाती है कुछ: सिर्फ कॉमनसेंस का जॉब है पत्रकारिताराजीव जैनhttp://www.blogger.com/profile/07241456869337929788noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-3991743732606832926.post-12836354272076461832008-02-04T00:30:00.000-08:002008-02-04T00:30:00.000-08:00इस घटना से एक बात तो साफ हो गई कि पत्रकारिता में म...इस घटना से एक बात तो साफ हो गई कि पत्रकारिता में मूल्य और सिधान्तो का कोई मोल नही बचा है. अपने समाचार पत्र को जनता कि नज़र में बेहतर साबित करने के लिए एक नामचीन अख़बार ने भ्रामक समाचार प्रकाशित कर दिया. यानि अखबार बेचने के लिए साला कुछ भी करेगा.Pahalhttps://www.blogger.com/profile/12978630185677875214noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3991743732606832926.post-9835298051051995742008-02-03T22:44:00.000-08:002008-02-03T22:44:00.000-08:00टांग बचाओ भईया और राजमाता की आत्मा को बड़ा कष्ट्...टांग बचाओ भईया और राजमाता की आत्मा को बड़ा कष्ट्र हो रहा कि उनका शव गया था वैन से और भास्कर ने भेज दिया विमान से, भईया यही तो पत्रकारिता हैAshish Maharishihttps://www.blogger.com/profile/04428886830356538829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3991743732606832926.post-36156662969630355622008-02-03T22:26:00.000-08:002008-02-03T22:26:00.000-08:00वैसे तो हर क्षेत्र ही कामनसेंस से जुड़ा हुआ है.. सो...वैसे तो हर क्षेत्र ही कामनसेंस से जुड़ा हुआ है.. सो पत्रकारीता क्यों अछूता रहे?<BR/><BR/>टांग कैसे तुड़ा लिये भाईसाहब??<BR/>अब जल्दी से ठीक हो जाइये.. मेरी सुभकामनाऐं..PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3991743732606832926.post-92110174893980834552008-02-03T17:23:00.000-08:002008-02-03T17:23:00.000-08:00राजीव जी, सब से पहले तो आप अपनी टांग के बारे में ब...राजीव जी, सब से पहले तो आप अपनी टांग के बारे में बताइए.....क्या उस पर पलस्तर चढा है या नहीं ? पूरा बतलाइए। हम आप की टांग जल्द ठीक होने की शुभकामऩा करते हैं। <BR/>जहां, तक आप की पोस्ट की बात है आप बिलकुल सही फरमा रहे हैं. हमारे ज़र्नलिज़्म के प्रोफैसर साहब डा वालियाजी भी अकसर यही बात कहते थे। मैंने भी विभिन्न समाचार-पत्रों की ऐसी कईँ कतरनें किसी फाईल में इक्ट्ठी की हुई हैं जो इसी बात को चीख-चीख कर कह रही हैं...लेकिन यह प्रिंट मीडिया भी न, अपने पाठकों को बस लेकन फॉर ग्रांटेड वाली एटीट्यूड से पता नहीं कब बाहर निकलेगा।Dr Parveen Choprahttps://www.blogger.com/profile/17556799444192593257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3991743732606832926.post-36270690561960088112008-02-03T10:09:00.000-08:002008-02-03T10:09:00.000-08:00ठीक एक साल बाद घटना की याद दिलाकर जहां पत्रकारिता ...ठीक एक साल बाद घटना की याद दिलाकर जहां पत्रकारिता में सावधानी के साथ काम करने का सबक दिया है वहीं कुछ पुरोधाओं के पुराने घाव ताजे कर दिए।Harinathhttps://www.blogger.com/profile/01026632968127223834noreply@blogger.com