Friday, May 30, 2008

आरक्षण पर भारी वोट बैंक का गणित


आठ दिन गुजर गए मेरा राजस्थान आरक्षण की आग में झुलस रहा है। सरकार का ध्यान आंदोलनकारियों से वार्ता पर कम और उनके आंदोलन को कुचलने में ज्यादा है।
आरक्षण की लड़ाई में असली गणित वोट बैंक का है। राजस्थान की 200 विधानसभाओं में से आठ से दस सीटें ही गुर्जरों के प्रभाव क्षेत्र वाली हैं। इसलिए सरकार बयाना के पास पीलू का पुरा में डटे 20 हजार से दो लाख तक लोगों से वार्ता नहीं करना चाहती। अगर गुर्जरों को एसटी में आरक्षण वाली चिट्ठी भेजी जाती है तो मीणों से नाराजगी का खतरा है। कोई भी सरकार प्रदेश में गुर्जरों के लिए मीणों से बैर नहीं लेना चाहेगी। मीणा सीधे तौर पर 40 सीटों को प्रभावित करते हैं। इसलिए साफ है कि गुर्जर कितना भी हंगामा कर लें, उन्हें एसटी में मीणाओं के साथ उसी कैटेगिरी में आरक्षण नहीं मिल सकता। इसीलिए सरकार विशेष दर्जे में आरक्षण की बात कहती है, लेकिन गुर्जर इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं हैं।
शुक्रवार को सवाई माधोपुर में पुलिस ने फायरिंग की, इसमें तीन की मौत हुई और नौ पुलिसवाले घायल हो गए। इसके बाद देर शाम पुलिस ने घोषणा कर दी कि अगर शनिवार सुबह दस बजे तक मृतकों के परिजन शव लेने नहीं आते तो पुलिस उनका दाह संस्कार करा देगी। यह घोषणा मामला और उलझा सकती है। हालाकि शुक्रवार देर रात सरकार ने डीजीपी एएस गिल को हटाकर एसीबी के डीजीपी को राज्य का 26वां डीजीपी बना दिया।

3 comments:

समयचक्र said...

हमारे देश मे १७६० जातियाँ है आरक्षण के भूत पर हमेशा वोट बेंक का गणित हावी रहेगा , सहमत हूँ . धन्यवाद

दिनेशराय द्विवेदी said...

गुर्जरों ने आरक्षण को बत्ती दिखा दी है। यह पटाखे तक पहुँच ले बस!

Harinath said...

मेरा नहीं हमारा राजस्थान. अब आठ नहीं ग्यारह दिन हो गए. इस आग से आप ही नही पूरे देश के लोग दुखी हैं. मैं तो कुछ ज्यादा ही दुखी हूँ. रहा आरक्षण का सवाल, तो अब गूजरों को आरक्षण देना ही पडेगा. चाहे विशेष दर्जे मे ही.