Sunday, April 12, 2009

बाप रे ! एक और मंदिर


धर्म एक अफीम है, शायद यह बात किसी ने धर्म परायण लोगों को देखकर कही गई थी। पर अब धर्म बडी से बडी दुकान चलाने में काम आ रही है। चाहे वो पीएम इन वेटिंग लालकृष्‍ण आडवाणीजी की हो, या मेरी वाली चाय की थडी की। धर्म ही ऐसा मसला है जिसकी आड में इस देश में कुछ भी आसानी से किया जा सकता है।
हां तो मैं बात कर रहा था बजाज नगर ( जयपुर में आजकल अपनी शरणस्‍थली ) में मेरी वाली चाय की थडी की। शायद चाय वाले को यह बात पहले से पता है कि अतिक्रमण करना है तो सबसे पहले मंदिर बनाने का प्रोसेस शुरू करो। ताकी वहां थडी लगाने में आसानी हो जाए। अतिक्रमण तोडने कोई आए तो उन पर दवाब बनाया जा सके।
दस ईंटों से एक छोटा अलमारीनुमा ढांचा बनाया। मूर्ति का आइडिया शायद अभी महंगा लगा हो इसलिए फिलहाल हनुमानजी की एक फोटो विराजित कर दी गई है। उसमें अगरबत्‍ती के पैकट और अगरबत्‍ती लगाने के लिए दो डिस्‍पोजेबल कप रखे हैं।
मैं बीस साल बाद की बात सोच रहा हूं। यहां बोर्ड लगा होगा, प्राचीन हनुमान मंदिर। और बाहर एक बडी से पुरानी थडी होगी। जिस पर मोटे अक्षरों में लिखा होगा। हाईकोर्ट का स्‍टे!
यानी कुल मिलाकर धर्म की आड में एक और दुकान चलाने की साजिश।
पता नहीं कितने हजार अतिक्रमण होते रहेंगे ऐसे ?

14 comments:

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

देखा ! धर्म केवल अफीम ही नहीं, रोटी कपड़ा और मकान भी है. (चाहे तो नेताओं से भी पूछ लो).

दिनेशराय द्विवेदी said...

यह एक धर्म विऱोधी हरकत है, इसी प्रवृत्ति ने भारतीय धर्म का सत्यानाश किया है।

नीरज गोस्वामी said...

बहुत सही बात लिखी है आपने...जयपुर में ऐसे सेंकडों मंदिर बनते और प्रसिद्द होते देखें हैं मैंने...आप जयपुर में हैं जान अच्छा लगा...अगली बार जयपुर आने पर मुलाकात का तरीका ढूंढते हैं...
नीरज

Arkjesh said...

सार्वजनिक स्थानों पर जिस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत है वह तो बनाते नहीं .. जैसे कि कचरा पेटियां, शौचालय इतयादि पर्याप्त सम्ख्या में होने चाहिये ...

संगीता पुरी said...

इसे ही कहते हें धर्म के नाम पर अधर्म।

GKK said...

sahi hai , now you are going to enter in so called intellectual class

अनिल कान्त said...

धर्म के ठेकेदारों ने इसका खूब फायदा उठाया ...बेवकूफ बनाया और बना रहे हैं ...ना जाने कब तक बनाते रहेंगे

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

dharm afim hai yun hi to kisi ne nahi kahaa

डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल said...

मुझे तो लगता है कि इसी प्रवृत्ति का बड़ा रूप वह है जिसके सहारे हमारे देश का एक बड़ा राजनीतिक दल सत्ता की सीढियां चढने का ख्वाब देखता है. आप क्या सोचते हैं?

Anil Pusadkar said...

अवैध कब्ज़ो को वैध साबित करने के लिये धर्म का लाय्सेंस लेना ज़रूरी है।

प्रशांत गुप्ता said...

"good ,you are on right path of DHARAMNIRPAKISTHA"it a atikraman of 2*2.pls also focus on big atikraman in Jaipur of 1000mt & remember Dharam Afim nahi jeevan hai.

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