जयपुर शहर सडक हादसों से कितना भयभीत है। इसका उदाहरण यह फोटो देखकर आसानी से लगाया जा सकता है। जयपुर का एक बडा चौराहा है, गुर्जर की थडी। रोज रोज सडक दुर्घटनाओं के बाद यह इतना कुख्यात हो गया है कि एक सडक हादसे में एक दंपती की मौत के बाद लोगों ने दो दिन तक यहां प्रदर्शन किया। कॉर्नर में सडक हादसे की वजह रहे शनि मंदिर को लोगों ने खुद तोड डाला। और तो और अपने खर्चे पर एक बोर्ड लगवाया जिस पर सूचना लिखवाई गई कि यह चौराहा नहीं मौत का कुआं है। यह चित्र जयपुर में ही मेरे एक वरिष्ठ साथी और हम सबके चहेते
अभिषेकजी ने मुझे खासतौर पर भेजा।
15 comments:
thanx rajeev
पिछले कुछ समय से होने वाली दुर्घटनाओ के बाद से मैं इस रास्ते से जाना अवोइड ही करता हूँ..
यह नेताओं की अकर्मण्यता का भी सबूत है..अगर ऐसा नहीं होता तो समय रहते उचित कार्यवाही कर ली गयी होती और निर्दोष जानें बचाई जा सकतीं थीं.
फोटो बड़ा करके देखा तो लगा कि कुछ छेड़छाड़ हुयी है?
खड़ा कुंआ
अपना प्रचार करता कुंआ
देखिए एक कुंआ कर रहा है
हुंआ हुंआ
न जाना इसके
नियां नियां।
सवारी पर बैठने के बाद पता नहीं धीरज कहाँ चली जाती है. अपने से बड़ी गाडी से प्रतियोगिता, अपने से छोटी गाडी को दबा कर चलने की प्रवृत्ति और नियमों के प्रति कोई आदर नहीं. जब तक दुर्घटना नहीं होती हम यह मानने को राजी ही नहीं होते कि यह हमारे साथ भी हो सकता है.
एक घटना याद आती है, मेरे एक दोस्त के पास मोटरसाइकिल हुआ करता था. उसे एक चीज से बहुत चिढ थी, "लेग गार्ड". मैंने उस से पुछा कि लेग गार्ड क्यों नहीं लगाया. कहता है मुझे अच्छा नहीं लगता. मैंने कहा कभी कुछ हुआ तो टंगे चली जायेंगी. उसने कहा "कुछ नहीं होता". मैंने कहा "यह एक ही बार होता है". दो दिन के बाद मिला तो उसने लेग गार्ड लगवा रखा था.
काश यही बात हर गाडी चलने वाले को समझ में आ जाती कि घटक दुर्घटना एक ही बार होती है ओर उसी से बचने के लिए सावधानी ओर नियमों के पालन में अहतियात बरतने की जरूरत है.
इस चौराहे से मै भी अनेक बार गुजरा हूँ। मुझे पूरा विश्वास है कि जिस दिन जनता जाग्रत हो जाती है उस दिन वह बहुत कुछ बदल देती है। बदलाव हमेशा भला होता है।
i also read nd saw this ...but i did not saw that way......
its good
यह चौराहा वाकई खतरनाक है. लेकिन इससे भी खतरनाक है हमारी ड्राइविंग. अगर लोग सावधानी से ड्राइव करें तो खतरे बहुत कम हो जाएं. ल्गों की गैर ज़िम्मेदाराना ड्राइविंग के लिए सरकार को दोष देना कितना वाज़िब है? आपने देखा नहीं कि चौराहे पर सिपाही को चकमा देने में लोग कितने कौशल का उपयोग करते हैं, और अगर सिपाही न हो तो फिर जैसे उनके लिए कोई ट्रैफिक नियम होता ही नहीं. ऐसे में तो यह चौराहा क्यो, कोई भी जगह मौत का कुआ कही जा सकती है.
bhai me bhi ek baar yahi bal bal bacha tha
good one sir,,, even I covered a lot of accident news on the same point
are, meri didi ka ghar to bas vahin pas me hai aur main anginat bar vahan se gujar chuka hun.. vaise pichli bar 2 sal pahle gaya tha..
ye bhi sach hai ki main niyamo ka palan karne ke chakkar me vahan road cross karte samay bahut samay leta tha.. koi traffic rule nahi, kuchh bhi nahi.. bas sabhi ko F1 Driver banne ki sanak sawar rahti thi..
samvednaon bhari jugalbandi abhishek-rajeev donon ko mubarak.shahar ke traffic mahkme par tamacha hai yah janta ka.
bahut hi marmik.
shani mandir riddhi siddhi par hai jabki ye snap gaujar ki thadi ki hai
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