Sunday, December 23, 2007

मोदी के तारे आसमान में


सोनिया का गुजरात कैंपन में मौत का सौदागर बोलना मोदी की जीत का टर्निंग प्‍वाइंट रहा और मोदी कांटे की लडाई से जीत को कांग्रेस के हाथों छीन लाए।
इस जीत में मोदी की आक्रामकता के साथ साथ उनका अतिविश्‍वास का भी तगडा योगदान है। विपक्ष तो विपक्ष अपनी ही पार्टी में विरोधियों से घिरे होने के बाद मोदी ने जो जुजारूपन दिखाया वह काबिले तारीफ है। अब मोदी की जीत का यह पैटर्न भाजपा के साथ साथ कांग्रेस के लिए भी कई राज्‍यों में आदर्श होगा।
हो सकता है राजस्‍थान के असंतुष्‍ट भी अब दुबक कर वसुंधरा के पाले में बैठ जाएं। केशुभाई पटेल और कांशीराम राणा हश्र जो हुआ है वो देख ही चुके हैं।
वैसे हम माने या न मानें इस देश में व्‍यक्तिगत राजनीति का दौर फिलहाल नहीं है। भाजपा से बाहर होने के बाद हमने कल्‍याण सिंह का हश्र देखा थ और अब उमा भारती का देख रहे हैं। हमें मान लेना चाहिए कि एक अरब के इस देश में पार्टी या विचारधारा ही चुनाव जिता सकती है। राहुल गांधी का कैंपन कांग्रेस के लिए कोई खास लाभकारी रहा हो ऐसा मुझे नहीं लगता। न तो गुजरात में ही और न ही इससे पहले उत्‍तर प्रदेश में दोनों ही जगह कांग्रेस नेताओं ने गांधी परिवार की इज्‍जत बचाने के लिए यही कहा कि पार्टी को सीटें भले न मिलीं हों, लेकिन वोटिंग परसेंट जरूर बढा है। एक और बात मोदी केंद्रीय राजनीति में आएं ऐसा भी दिखाई नहीं देता। ये सब पॉलिटिकल स्‍टंट हैं, जब तक आडवाणी जिंदा है, मोदी केंद्रीय राजनीति में न आएंगे न आने दिए जाएंगे।
बस यह हमें मानना होगा कि भाजपा को एक जनाधार वाला नेता मिला है, जिसकी अपनी ब्रांड इमेज है, तोगडिया या विहिप के लोग जो बरसों पहले उग्र कैंपन करते थे, यह काम अब देश भर में मोदी करेंगे। भाजपा उनकी इस छवि का फायदा उठाने से कहीं कम नहीं रहने वालीं।

3 comments:

Ashish Maharishi said...

राजीव भाई। चलिए मोदी से आने से अब एक बात तो साफ हो गई है कि लोकसभा चुनाव समय पर होगा। यदि कांग्रेस यहां जीत जाती(जो कि संभव नहीं था) तो हो सकता था कि लोकसभा चुनाव में इस जीत का फायदा उठाती। जहां तक मोदी साहब का सवाल है तो देखिए कहीं मोदी भाजपा के लिए भस्‍मासुर नहीं बन जाएं।

डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल said...

राजीव भाई, अगर हम इस बात पर विचार करें कि यह मोदी की जीत है या भाजपा की, या कि दोनों में से किसकी अधिक, तो उत्तर निश्चय ही मोदी के पक्ष में होगा. भारत व्यक्ति पूजा के बगैर नहीं रह सकता. जीत मोदी के करिश्मे की हुई है. भाजपा की भी मोदी ने कोई खास परवाह नहीं की. वैसे, सारी असहमतियों के बावज़ूद, मुझे मोदी के लिए यह शे'र याद आता है : कद्रदां की कमी नहीं है, कमाल पैदा तो करे कोई! मोदी ने गुजरात को सुशासन भी दिया और अपनी छवि का फायदा भी उठाया जो बहुत कुशलता से गढी गई थी.

नूर खान said...

आहा आखिरकार मुझे हिन्दी में लिखने का तरीका मिल गया .सबको बहुत बहुत धन्यवाद .