राजस्थान में 27 दिन से चल रहा आरक्षण आंदोलन आखिरकार खत्म हो गया। दो साल में 65 जानों के बदले गुर्जरों को अति पिछड़ा वर्ग की एक विशेष स्लैब बनाकर पांच और जातियों के साथ पांच फीसदी आरक्षण की बात कही गई है। इसके साथ साथ मुख्यमंत्री ने आर्थिक रूप से पिछडे़ ब्राहमण, वैश्य, राजपूत और कायस्थों को राज्य सेवाओं में 14 फीसदी आरक्षण की सौगात दी है। इसके साथ ही प्रदेश में अब 68 फीसदी नौकरियां आरक्षित वर्गों के लिए सुरक्षित हो जाएंगी। अब जनरल कैटेगिरी के लिए 32 फीसदी सीटें ही बची हैं।इससे राजस्थान की समस्या भले ही खत्म हो जाए, लेकिन यह आरक्षण का जिन्न पूरे देश में तबाही मचाएगा। वैसे भी गुर्जरों के इस आंदोलन ने लोगों को प्रदर्शन का एक और तरीका सिखा दिया। अब तो लगता है कि लाख पचास हजार की भीड़ रखने वाला कोई भी आंदोलनकारी एक दो दिन के लिए तो पूरे देश की परिवहन व्यवस्था आसानी से चौपट कर सकता अपन का तो मानना है कि आरक्षण नाम की इस बीमारी का नौकरी में तो बिल्कुल सफाया हो जाए। जिसे जो देना है आर्थिक सहायता दी जाए। ताकी बच्चे पढे़ लिखें और उसके बाद जो हांसिल कर सकते हैं अपनी मंजिल पाएं। वैसे सीधी बात यह है कि सरकार और ये राजनेता बताएं कि आजादी के बाद से अब तक साठ से ज्यादा वर्षों में आरक्षण का फायदा किसको मिला। अगर किसी को मिला है तो कम से कम उनको तो अब इस रेंज से बाहर किया जाए, ताकी दूसरें लोग भी इसका फायदा उठा सकें।राजनेता अपने चुनावी फायदे के लिए आरक्षण खत्म नहीं करना चाहते, कोई पार्टी इतनी हिम्मतवाली नहीं है, जो सीधे तौर पर आरक्षण की व्यवस्था का विरोध करे। वैसे अब सही वक्त आ गया है, जब देश वासियों को सोचना चाहिए कि उसी पार्टी का समर्थन करे, जो इस व्यवस्था को खत्म करने की बात करे।
7 comments:
देश वासियों को सोचना चाहिए कि उसी पार्टी का समर्थन करे, जो इस व्यवस्था को खत्म करने की बात करे।
--बिल्कुल सही फरमा रहे हैं.
सटीक और सामयिक लेख।
आपसे सहमत हूँ..
अब जरूरी हो चला है कि आरक्षण व्यवस्था को समाप्त किया जाए। वरना यह देश के विकास की गति को खा जाएगी।
tabhi kahte hain rajeevji jiski lathi............
bilkul sahmat hoon aapse..main bhi har prakaar ke aarakhsan ki ghor virodhi hoon. lekin koi party kabhi is vyavastha ka virodh karegi..aisi aasha karna vyarth hai.
sahi likha aapne....
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