Sunday, October 17, 2010
रावण को भी मार गया लेआउट
इस साल विजयादशमी पर रावण में एक क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिला। रावण मैचोमैन की तरह यंग दिखा। जिस रावण को हम दशानन के नाम से जानते थे उसके सिर गिने तो। मुंह से निकला अरे यार ये क्या इसके तो नौ ही सिर है।
फिर आसपास जहां भी नजर दौड़ाई रावण के सिर पर नौ ही सिर दिखे। इधर उधर पूछताछ की कोशिश की गई तो पता चला कि इधर पांच और उधर चार अच्छे नहीं लगते इसलिए समतल कर दिए हैं। यानी दोनों तरफ चार-चार सिर फिट कर दिए गए हैं।
यानी अब रावण को भी ले-आउट मार गया आने वाली पीढिय़ों के जीके में एक सवाल और जुड़ गया जिसे रटाना होगा। और उन्हें दशानन का मतलब समझाना होगा।
जय हो रावण की !
Saturday, August 14, 2010
वाह रे झंडू बाम
झंडू फार्मेस्यूटिकल कंपनी की एक दवा है झंडू बाम। जुकाम, सर्दी और सिरदर्द में काम आती है। बचपन में दूरदर्शन देखते थे तो एक विज्ञापन आता था पीडाहारी बाम झंडू बाम। बाद में बेरोजगारी के दिनों में इंडिया टुडे के आखिरी पेज पर विज्ञापन होता था आज एक बाम तीन काम झंडू बाम।
पर अब तीस के हुए तो लगा कि ये बचपन के दिनों में ये जो झंडू बाम होती थी अब एक फ्रेज हो गई है। दबंग फिल्म का एक गाना है।
मुन्नी बदनाम हुई डार्लिंग तेरे लिए, ले झंडूबाम हुई डार्लिंग तेरे लिए। ये गाना मैं कई बार सुन चुका हूं। हां अभी देख नहीं पाया पर सुना है कि सल्लू ने अपनी भाभी मलाइका अरोडा के साथ इस गाने पर डांस किया है।
पर ललित पंडित का लिखा ये गाना हिंदी के इतिहास में एक नई फ्रेज के लिए जाना जाएगा। जिंदगी झंडूबाम हो गई, ये शब्द में हम कॉलेज के दिनों में हम भी इस्तेमाल किया करते थे। आज सुबह एक एसएमएस में भी यह शब्द मैंने पढा।
सोचा इस झंडूबाम पर आपना भी ध्यान आकर्षित किया जाए।
पर अब तीस के हुए तो लगा कि ये बचपन के दिनों में ये जो झंडू बाम होती थी अब एक फ्रेज हो गई है। दबंग फिल्म का एक गाना है।
मुन्नी बदनाम हुई डार्लिंग तेरे लिए, ले झंडूबाम हुई डार्लिंग तेरे लिए। ये गाना मैं कई बार सुन चुका हूं। हां अभी देख नहीं पाया पर सुना है कि सल्लू ने अपनी भाभी मलाइका अरोडा के साथ इस गाने पर डांस किया है।
पर ललित पंडित का लिखा ये गाना हिंदी के इतिहास में एक नई फ्रेज के लिए जाना जाएगा। जिंदगी झंडूबाम हो गई, ये शब्द में हम कॉलेज के दिनों में हम भी इस्तेमाल किया करते थे। आज सुबह एक एसएमएस में भी यह शब्द मैंने पढा।
सोचा इस झंडूबाम पर आपना भी ध्यान आकर्षित किया जाए।
Thursday, July 15, 2010
कुछ मजेदार परिभाषाएं
अनुभव : भूतकाल में की गई गलतियों का दूसरा नाम ।
अवसरवादी : वह व्यक्ति, जो गलती से नदी में गिर पड़े तो नहाना शुरू कर दे।
कंजूस : वह व्यक्ति जो जिंदगी भर गरीबी में रहता है ताकि अमीरी में मर सके।
अपराधी : दुनिया के बाकी लोगों जैसा ही मनुष्य, सिवाय इसके कि वह पकड़ा गया है।
अधिकारी : वह जो आपके पहुंचने के पहले ऑफिस पहुंच जाता है और यदि कभी आप जल्दी पहुंच जाएं तो काफी देर से आता है।
समझौता : किसी चीज को बांटने का वह तरीका जिसमें हर व्यक्ति यह समझता है कि उसे बड़ा हिस्सा मिला।
कान्फ्रेन्स रूम : वह स्थान जहां हर व्यक्ति बोलता है, कोई नहीं सुनता है और अंत में सब असहमत होते हैं।
परम आनंद : एक ऐसी अनुभूति जब आप अनुभव करते हैं कि आप एक ऐसी अनुभूति को अनुभव करने जा रहे हैं जो आपने पहले कभी अनुभव नहीं की है।
श्रेष्ठ पुस्तक : जिसकी सब प्रशंसा करते हैं परंतु पढ़ता कोई नहीं है।
कार्यालय : वह स्थान जहां आप घर के तनावों से मुक्ति पाकर विश्राम कर सकते हैं।
समिति : ऐसे व्यक्ति जो अकेले कुछ नहीं कर सकते, परंतु यह निर्णय मिलकर करते हैं कि साथ साथ कुछ नहीं किया जा सकता।
अवसरवादी : वह व्यक्ति, जो गलती से नदी में गिर पड़े तो नहाना शुरू कर दे।
कंजूस : वह व्यक्ति जो जिंदगी भर गरीबी में रहता है ताकि अमीरी में मर सके।
अपराधी : दुनिया के बाकी लोगों जैसा ही मनुष्य, सिवाय इसके कि वह पकड़ा गया है।
अधिकारी : वह जो आपके पहुंचने के पहले ऑफिस पहुंच जाता है और यदि कभी आप जल्दी पहुंच जाएं तो काफी देर से आता है।
समझौता : किसी चीज को बांटने का वह तरीका जिसमें हर व्यक्ति यह समझता है कि उसे बड़ा हिस्सा मिला।
कान्फ्रेन्स रूम : वह स्थान जहां हर व्यक्ति बोलता है, कोई नहीं सुनता है और अंत में सब असहमत होते हैं।
परम आनंद : एक ऐसी अनुभूति जब आप अनुभव करते हैं कि आप एक ऐसी अनुभूति को अनुभव करने जा रहे हैं जो आपने पहले कभी अनुभव नहीं की है।
श्रेष्ठ पुस्तक : जिसकी सब प्रशंसा करते हैं परंतु पढ़ता कोई नहीं है।
कार्यालय : वह स्थान जहां आप घर के तनावों से मुक्ति पाकर विश्राम कर सकते हैं।
समिति : ऐसे व्यक्ति जो अकेले कुछ नहीं कर सकते, परंतु यह निर्णय मिलकर करते हैं कि साथ साथ कुछ नहीं किया जा सकता।
Wednesday, June 30, 2010
इस मौसम विभाग को बंद कर दो
हिन्दुस्तान में मुफत की सलाह देने का शौक है। अपन का भी मन हुआ कुछ सलाह दी जाए। सरकार को दो डिपार्टमेंट बिल्कुल बंद कर देने चाहिए और इनकम बढाने के लिए तीसरा विभाग खोलना चाहिए।
पहला मौसम विभाग, किसी काम का नहीं, जो कहे सो होना नहीं। इतने दिन से चिल्ला चिल्ला कर कह रहे थे 15 जून तक मानसून आ जाएगा, इस बार मानसून अच्छा है। अपने दिमाग में उसी दिन खटका हुआ, कि इस बार तो बारिश गायब समझो। भगवान न करे ऐसा हो, पर लग नहीं रहा कि इस बार ज्यादा बारिश होगी। यानी ऐसा डिपार्टमेंट जिसकी एक भी भविष्यवाणी आजतक सही निकली। और तो और केंद्र सरकार ने इस बेमतलब के विभाग के लिए करोडों रुपए स्वीकृत कर रखें हैं ताकी मौसम का 24 घंटे वाला चैनल शुरू किया जा सके। अब बताइये जरा, जो करोडों हिन्दुस्तानियों के इंतजार की घडियां ठीक ठीक न बता सकें उस विभाग को पालने पोसने का क्या फायदा। इससे तो यह काम ज्योतिषियों को ही दे दें। इनसे अच्छी घोषणा तो वे ही कर देंगे !
(चित्र गूगल बाबा के सहयोग से )
दूसरा है अपना देवस्थान विभाग (राजस्थान का ऐसा विभाग जो मंदिरों की देखरेख करता है, शायद सिर्फ राजस्थान में ही है)। अब बताइये सरकार है धर्मनिरपेक्ष और सरकार ने एक विभाग बना रखा है, जो मंदिरों और भगवानों की पूजा पाठ व देखरेख कराए। तब भी मंदिरों के हालत ऐसे कि आप शरमा जाएं। इससे तो इस विभाग को बंद कर दें ताकी इस विभाग की फाइलों पर खर्च होने वाले बजट से ही किसी मंदिर का न सही किसी भक्त का ही भला हो।
अब बात करें फायदे की
इन दो विभागों को बंद करके सरकारों को तबादला विभाग खोलने चाहिए। हर टांसफर की रेट फिक्स हो, पब्लिक भी खुश और सरकार भी। जिसे कराना है तबादला वो तो आज भी पैसा खर्च कर ही रहा है, अब सरकार के पास जाएगा तो थोडा बहुत वापस पब्लिक तक भी पहुंचेगा, वर्ना नेता और बिचौलिए पूरा ही खा रहे हैं।
पहला मौसम विभाग, किसी काम का नहीं, जो कहे सो होना नहीं। इतने दिन से चिल्ला चिल्ला कर कह रहे थे 15 जून तक मानसून आ जाएगा, इस बार मानसून अच्छा है। अपने दिमाग में उसी दिन खटका हुआ, कि इस बार तो बारिश गायब समझो। भगवान न करे ऐसा हो, पर लग नहीं रहा कि इस बार ज्यादा बारिश होगी। यानी ऐसा डिपार्टमेंट जिसकी एक भी भविष्यवाणी आजतक सही निकली। और तो और केंद्र सरकार ने इस बेमतलब के विभाग के लिए करोडों रुपए स्वीकृत कर रखें हैं ताकी मौसम का 24 घंटे वाला चैनल शुरू किया जा सके। अब बताइये जरा, जो करोडों हिन्दुस्तानियों के इंतजार की घडियां ठीक ठीक न बता सकें उस विभाग को पालने पोसने का क्या फायदा। इससे तो यह काम ज्योतिषियों को ही दे दें। इनसे अच्छी घोषणा तो वे ही कर देंगे !
(चित्र गूगल बाबा के सहयोग से )
दूसरा है अपना देवस्थान विभाग (राजस्थान का ऐसा विभाग जो मंदिरों की देखरेख करता है, शायद सिर्फ राजस्थान में ही है)। अब बताइये सरकार है धर्मनिरपेक्ष और सरकार ने एक विभाग बना रखा है, जो मंदिरों और भगवानों की पूजा पाठ व देखरेख कराए। तब भी मंदिरों के हालत ऐसे कि आप शरमा जाएं। इससे तो इस विभाग को बंद कर दें ताकी इस विभाग की फाइलों पर खर्च होने वाले बजट से ही किसी मंदिर का न सही किसी भक्त का ही भला हो।
अब बात करें फायदे की
इन दो विभागों को बंद करके सरकारों को तबादला विभाग खोलने चाहिए। हर टांसफर की रेट फिक्स हो, पब्लिक भी खुश और सरकार भी। जिसे कराना है तबादला वो तो आज भी पैसा खर्च कर ही रहा है, अब सरकार के पास जाएगा तो थोडा बहुत वापस पब्लिक तक भी पहुंचेगा, वर्ना नेता और बिचौलिए पूरा ही खा रहे हैं।
Thursday, June 10, 2010
रूठने से बढती है सुंदरता
कोई भी क्रीम लगाने से आदमी गोरा नहीं होता सुंदर बनना है तो औरतों को रुठना आना चाहिए क्योंकि अपन के धर्मेंद्रजी कह कर गए हैं कोई हसीना जब रूठ जाती है तो और भी हसीन हो जाती है। इसलिए अब क्रीम की कंपनियां अपनी मार्केटिंग में इस फार्मूले का इस्तेमाल कर सकती हैं।
यह तो इकलौता गाना है अपन को और भी बहुत सारे गाने समझ नहीं आते।
जैसे एक गाना है ओ हसीना जुल्फों वाली। अपन सच बता रहे हैं आज तक अपन ने कोई गंजी लडकी नहीं देखी।
पोस्ट छोटी है, पर काम की है बस यूं समझ लीजिए महीनों का गेप हो गया तो लिखने की आदत खत्म हो गई। आठ महीने के अंतराल के बाद लिखा है पर अब आपको दनादन पोस्ट मिलती रहेंगी।
खूब सारी शिकायते थीं मुझसे
बहुत सारे शुभचिंतक साथियों ने मुझे खूब मेल भेजे। कई लोगों ने सामने ही टोक दिया। किसी ने लिखा शादी के बाद ब्लॉग का समय बीवी को दे दिया। यहां तक हुआ कि एक मित्र ने तो मजाक में मेरे ब्लॉग की तीये की बैठक तक का आयोजन वाला मेल ही मुझे भेज दिया। पर अब आपकी शिकायतें दूर हो जाएंगी। सुन रहे हो न दीपू, संदीप और सुधाकरजी।
यह तो इकलौता गाना है अपन को और भी बहुत सारे गाने समझ नहीं आते।
जैसे एक गाना है ओ हसीना जुल्फों वाली। अपन सच बता रहे हैं आज तक अपन ने कोई गंजी लडकी नहीं देखी।
पोस्ट छोटी है, पर काम की है बस यूं समझ लीजिए महीनों का गेप हो गया तो लिखने की आदत खत्म हो गई। आठ महीने के अंतराल के बाद लिखा है पर अब आपको दनादन पोस्ट मिलती रहेंगी।
खूब सारी शिकायते थीं मुझसे
बहुत सारे शुभचिंतक साथियों ने मुझे खूब मेल भेजे। कई लोगों ने सामने ही टोक दिया। किसी ने लिखा शादी के बाद ब्लॉग का समय बीवी को दे दिया। यहां तक हुआ कि एक मित्र ने तो मजाक में मेरे ब्लॉग की तीये की बैठक तक का आयोजन वाला मेल ही मुझे भेज दिया। पर अब आपकी शिकायतें दूर हो जाएंगी। सुन रहे हो न दीपू, संदीप और सुधाकरजी।
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