Saturday, September 26, 2009

टाइमपास है व्‍हाट़स योर राशि


कल कई महीनों बाद फर्स्‍ट डे फर्स्‍ट शो देखी व्‍हाटस योर राशि
फिल्‍म की कहानी कुछ यूं है कि एक गुजराती एनआरआई लडका एमबीए करने के बाद शादी करने भारत आता है।
भाई पर कर्ज है, घर की माली हालत खराब है ठीक सरकारों की तरह। शादी करने पर नाना की संपत्ति में से हीरो को करोडों की जमीन मिलनी है। और घरवालों को आस है कि एनआरआई बेटे को दहेज मिलेगा, इसलिए सभी को शादी की जल्‍दी है।
एक वेबसाइट पर लडके की शादी का एड दिया था। बदले में 1765 रेस्‍पांस मिले। लडका परिवारवालों की मदद करना चाहता है, पर दहेज नहीं लेना चाहता। शादी सिर्फ दस दिनों में करनी है और इतने दिन में इनती सारी लडकियों से मिलना संभव नहीं है।
इसलिए लडके की राय पर यह तय हुआ कि सिर्फ 12 राशियों के हिसाब से सिर्फ 12 ही लडकियां देखी जाएं। और इन्‍हीं 12 लडकियों के जरिए, समाज की कई सारी बुराइयों को दिखाया है और इन्‍हीं लडकियों के देखने के बहाने ही तीन घंटे से ज्‍यादा समय की इस तथाकथित कॉमेडी फिल्‍म का तानाबाना बुना गया है।
इन 12 ल‍डकियों को देखकर भी हीरो शायद कुछ तय नहीं कर पाया कि शादी किससे की जाए, तो एक रिश्‍तेदार ने उसकी बिना राय जाने सीधे फेरे के मंडप पर पहुंचा दिया।
12 लडकियों में सबकी अपनी अपनी कहानी है। अपने अपने गुण अवगुण है। पर पता नहीं आशुतोष गोवारीकर क्‍या चाहते हैं, उन्‍हें लगता है कि बिना पौने चार घंटे के कोई फिल्‍म पूरी हो ही नहीं सकती। फिल्‍म देखते समय बोर नहीं करती पर स्‍टोरी में ऐसा भी नहीं था, जिसे एडिट नहीं किया जा सकता था।
फिल्‍म में करीब 12 गाने हैं, जिनमें से एक दो को छोडकर फिल्‍म के बाहर आने तक आप भूल ही जाएंगे।
फिल्‍म की सबसे बडी बात यह कि प्रियंका चोपडा ने 12 किरदार निभाए हैं। संजना के किरदार में वो सबसे अच्‍छी लगी हैं और शायद वही उनपर सबसे ज्‍यादा सूट करता है, हां हैप्‍पी एंड में शादी भी उसी के साथ होती है।
उन 12 लडकियों के डिटेल पर चर्चा फिर कभी
अभी इतना ही, हां बस फिल्‍म टाइमपास है, आशुतोष गोवारीकर टाइप की नहीं है, जिसके लिए आप लंबे समय तक इंतजार करते थे।

ब्‍लॉग न लिखने पर मेरी सफाई

ब्‍लॉग पर लिखे आजकल कई दिन बीत जाते हैं। शादी के बाद से (1 जुलाई) ब्‍लॉग पर सक्रियता कम हो गई। इस बीच दिलीप नागपाल ने ब्‍लॉग बडी या बीवी लिखकर मुझे मजबूर कर दिया कि मैं कोई प्रतिक्रिया दूं।
कारण कई हैं।
पहला तो ये कि मकान चेंज करने के बाद से इनदिनों घर पर नेट कनेक्‍शन नहीं है। नया कौनसा लेना है, यह डिसाइड नहीं कर पाया। अगर आपके पास कोई सस्‍ते प्‍लान का आइडिया हो तो अवश्‍य दें।
दूसरा ये हो सकता है कि छुटटी से लौटकर पहले हर ऑफ वाले दिन घर की ओर कूच करना पडता था। अब पत्‍नी भी जयपुर आ गई है, रूम भी व्‍यवस्थित हो गया है। ये समझिए ब्‍लॉग पर वापसी के दिन फिर शुरू होने वाले हैं। बस इतने दिन इसलिए लग रहे हैं क्‍योंकि मुझे पता है कि अगर अखबार के बाद दिन के पांच घंटे वो मुझे लैपटॉप पर देखेगी, तो शायद तलाक ही हो जाए ! :))

इसलिए पहले उसे भी ब्लोगिंग सिखाने की कोशिश कर रहा हूं। दुआ कीजिए कि आपको एकसाथ दो दो ब्‍लॉगची दिखाई दें। ब्‍लॉग का समय आजकल बीवी के बाद टीवी के नसीब में है। पर आप चिंता न कीजिए लिख कुछ नहीं रहा, पर थोडा ही सही, पढ सभी को रहा हूं।