Saturday, August 30, 2008

अंग्रेजी गई तेल लेने !


आजकल हिन्दी का बोलबाला है! लगता है मीडिया के बाद अब यह बात विज्ञापन इंडस्ट्री को भी समझ आ गई है! हिंदी ईजी डॉट कॉम के प्रिंट मीडिया में छपे विज्ञापन में साफ लिखा है अंग्रेजी गई तेल लेने! शायद अब कॉपी राइटर्स को भी समझ आ गया कि इंडियंस का दिल जितना है तो बिल्कुल बोलचाल की भाषा अपनानी होगी!
(आज यह अपने आप में नया प्रयोग है! यह ब्लॉग मैंने ट्रेन का इंतजार करते हुए अजमेर के रेलटेल कैफे से लिखा है।)

Saturday, August 23, 2008

फूंक यानी आप भगवान में विश्वास करते हैं या नहीं


बहुत दिनों बाद हॉल में फिल्म देखी रामगोपाल वर्मा की फूंक। पांच लाख के ईनाम का सवाल था कि फिल्म शुरुआत से ही तगड़ी पçब्लसिटी पा चुकी थी। मुश्किल से सैटर डे के हाउसफुल मैटनी शो के टिकट जुगाड़े और पहुंच गए। एंट्री गेट पर भीड़ इस कदर थी कि अंदर पहुंचते पहुंचते फिल्म शुरू हो चुकी थी।
अब स्टोरी की बात
मुझे जहां तक समझ आया फिल्म एक ऐसे बिल्डर परिवार के इर्द गिर्द है, जिसके मुखिया को भगवान में विश्वास नहीं है। हालांकि वह परिवार को इनमें शामिल होने से नहीं रोकता। सब कुछ अच्छा अच्छा चल रहा होता है कि एक घोटाले के बाद अचानक अपने एक साथी को नौकरी से निकालने के बाद घर में अनिष्ट शुरू हो जाता है। साइट पर एक की मौत हो जाती है, खुद को बुरे सपने आते हैं, बेटी घर से लापता हो जाती है। बाद में बेटी को आवाजें सुनाई देती हैं, उसके बाद काले जादू की तरह का ड्रामा होता है और फिर शुरू होता है साइंस वर्सेज सुपर नेचुरल पावर का संघर्ष।
पहले दादी चाहती है कि पोती को तांत्रिक को दिखाया जाए, मां भी कहती है, लेकिन पिता को मंजूर नहीं हुआ। बाद में वही बाकी फिल्मों की तरह बेटी की हालत को देखकर बाप पिघल जाता है और चला जाता है बेटी को बचाने के लिए तांत्रिक की शरण में। आखिर में बेटी बच जाती है, लेकिन अस्पताल में बैठी मां उसके बचने का श्रेय डॉक्टर को देती है और पिता को पता है कि वह किस तरह तांत्रिक के साथ उसे मौत के मुंह से बचा कर लाया है!
खास बात
अब तक हॉरर टाइप की फिल्म में डराने के लिए काली बिल्ली ही आती थी, राम गोपाल वर्मा ने इस बार कौए का सहारा भी लिया है, फिल्म देखकर आए हों तो हो सकता है आप भी कौए को देखकर डर जाएं।
सबसे खास हीरो का नाम राजीव था और पूरी फिल्म में डरने के बाद बार बार राजीव बचाओ, राजीव जल्दी आओ का डायलॉग आता तो, डरने के बाद मुझे भी लग रहा था कि आवाज मुझे ही बुला रही है!
सलाहअगर हॉरर फिल्म में इंट्रेस्ट नहीं है तो प्लीज फिल्म देखने न जाएं। हॉरर सीन कहीं कहीं तो इतने अजीब हैं कि हास्य का पुट देते हैं। जैसे करीब 15 फुट तक दादी की ओर बढ़ता हाथ।
निराशा
करीब दो घंटे की फिल्म में मैं अंत तक यही सोचता रहा कि साइंस को मानने वाला हीरो शायद इस बात के लिए कभी तैयार नहीं होगा कि वह अपनी बेटी का इलाज तांत्रिक से कराए। और फिल्म यह साबित कर देगी कि भूत या सुपर नेचुरल पावर का अस्तित्व नहीं होता। पर ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि मैं राजीव हूं, रामू नहीं!

Friday, August 22, 2008

गैस सिलेंडर की भी एक्सपायरी डेट


मुझे नहीं पता आपको यह जानकारी है या नहीं पर मुझे एक दोस्त ने ई-मेल भेजा है। इससे ही मुझे पता चला कि गैस सिलेंडर की भी एक्सपायरी डेट होती है। सिलेंडर के हत्थे के पास लिखा होता कि यह सिलेंडर कब तक काम आ सकता है। आप भी देखें यह कैसे पता चल सकता है।इसमें जो एल्फाबेट लिखे हैं उसका मतलब है ए- पहली तिमाही यानी मार्च बी- दूसरी तिमाही यानी जूनसी- तीसरी तिमाही यानी सितंबर डी- वर्ष का अंत यानी दिसंबरइस चित्रों में देखें कि पहले चित्र में हत्थे के नीचे डी-06 लिखा है। इसका मतलब है कि यह सिलेंडर दिसंबर 06 तक के लिए ही था। वहीं नीचे वाले दूसरे चित्र में डी-13 लिखा है, इसका मतलब है कि यह सिलेंडर वर्ष दिसंबर 2013 तक के लिए है।

Wednesday, August 20, 2008

कुछ करिए, इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा





आज का दिन सही मायनों में आजादी के बाद का खेल दिवस है। यूं हम हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के जन्मदिन 29 अगस्त को खेल दिवस के रूप में मनाते जरूर हैं, लेकिन इस दिन रस्म अदायगी के अलावा क्या होता है, यह किसी से छुपा नहीं है। इस एक दिन खेल को श्रद्धांजलि देने व खेल व युवा मंत्रालय के नाम पर भारी भरकम महकमा रखने के अलावा हमारे देश में खेल और खिलाडि़यों के लिए क्या किया जा रहा है, इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।अपने देश के खेल मंत्री की हालत यह है कि वो राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित और ऑल इंडिया इंग्लैंड चैंपियनशिप विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी पी गोपीचंद तक को नहीं पहचानते।हम मीडिया वाले भले ही खुद की तारीफ कर लें, बॉक्सिंग में विजेंद्र कुमार क्वार्टर फाइनल में पहुंचने के बाद टीवी पर सेमीफाइनल मैच के दौरान स्कोरिंग कैसे होती है, यह ढूंढते रहे।


इससे भी ज्यादा बुरा तो कुश्ती 56 साल बाद पदक दिलाने वाले सुशील कुमार के साथ हुआ। बीजिंग में 20 अगस्त को अपने पहले मुकाबले में यूक्रेन के पहलवान एंड्री स्टेडनिक से हारने के बाद कई मीडिया एजेंसियों ने उन्हें ओलंपिक से बाहर बता दिया। यानी हमारे ज्यादातर साçथयों को इस बात की जानकारी ही नहीं थी कि इन मुकाबलों में स्कॉरिंग किस तरह होती है। दुनिया के तीसरे नंबर के पहलवान स्टेडनिक से हार के बावजूद सुशील के पास कांस्य जीतने का मौका था और इसके लिए उन्हें उन पहलवान को हराना था, जिनको स्टेडनिक हरा चुके थे। रिपेचेज राउंड में सुशील का पहला मुकाबला दुनिया के पांचवें नंबर के अमेरिकी पहलवान डग सचवेब से था और सुशील इसमें कामयाब रहे। फिर बेलारूस के अल्बर्ट बेट्रोव और कजाखस्तान के çस्प्रडोनोव को हराकर उन्होंने कांस्य जीत लिया। सुबह एक मुकाबला हारने के बाद तीन-तीन पहलवानों को धूल चटाकर कांस्य जीताना वाकई बड़ी उपलçब्ध है।

हां, यह बात जरूर है कि क्रिकेट के पीछे भाग रहे लोगों का ध्यान अब बॉक्सिंग, निशानेबाजी और कुश्ती की ओर जरूर जाएगा। इसलिए अब सही वक्त है कि खेलों के विकास के लिए कुछ किया जाए, इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा।

(कार्टून सौजन्य : मिड डे, डेली न्यूज़)

Saturday, August 16, 2008

21 सदी में ऐसा स्कूल




15 अगस्त की छुट्टी घर पर मना रहा था। ठाले बैठे टीवी पर चैनल चेंज कर रहा था कि केबल वाले के लोकल चैनल के एक विज्ञापन पर नजर टिक गई। पहली बार पढ़ा तो लगा शायद देखने में गलती हो गई। उसके बाद उस विज्ञापन का इंतजार करता रहा। फिर आया तो देखा कि लिखा है हमारे स्कूल में सिर्फ शहरी बच्चों को पढ़ाया जाता है। मुझे अंग्रेजी माध्यम के इस स्कूल पर ऐसा करने पर अचरज कम हुआ लेकिन इस बात पर ज्यादा कि केबल चैनल पर कोई ऐसा विज्ञापन दिखा भी कैसे सकता है। कमाल की बात यह है कि शहर में सरकारी विज्ञापन, यहां तक कि पुलिस की ओर से जनहित में जारी विज्ञापन भी इसी चैनल पर आते हैं। अगर स्कूलें ऐसा भेदभाव करेंगी तो समाज में भेदभाव कैसे कम होगा? यह बात समझ से परे है।

Tuesday, August 12, 2008

हे भगवान! फिर दूध पी रहे हैं गणेशजी

बारह साल बाद आज फिर वही खबर आई कि गणेशजी दूध पी रहे हैं। मध्यप्रदेश और राजस्थान के कुछ शहरों में देर रात गणेशजी ने दूध पीया। दूध पीने वाले गणेशजी अकेले नहीं है उनके पिता भगवान शिव और माता पार्वती, भाई कार्तिकेय के साथ साथ शिवजी के वाहन नंदी भी कई शहरों में दूध पी रहे हैं। देर रात तक यह खबर जगल में आग की तरह फैल रही है। मंदिरों के बाहर लाइनें लगी हैं। पता नहीं यह खबर सबसे पहले किस बेवकूफ ने दी, पर खबर अब अखबारों में भी जगह बना चुकी है। दोनों प्रदेशों के हजारों धर्म परायण लोग दूध पिला रहे हैं। अगर आप चाहे तो आप भी एक चम्मच ट्राई कर सकते हैं।अभी इतना हीआपके पास भी कोई जानकारी हो तो मेल करें।

Monday, August 11, 2008

जय हो अभिनव की


अपने अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग स्पद्धाü में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास बना दिया है। अजुüन पुरस्कार से सम्मानित भारत के खेल रत्न 25 वषीüय अभिनव बिंद्रा की जीत के बाद पहली प्रतिक्रिया थी, `आज मेरा दिन था।´ 108 सालों से हम ओलंपिक में भाग ले रहे थे, एकल स्वर्ण एक नहीं आया था। अब गर्व से दर्ज कीजिए, 11 अगस्त 2008 को हमारी आजादी के 61वें जश्न से महज चार दिन पहले देश ओलंपिक की स्वçर्णम अभिनव आभा से आल्हादित हुआ है।
बधाई
आप भी अभिनव को बधाई दे सकते हैं उनके अपने ब्लॉग http://abhinavbindra.blogspot.com/ पर

Thursday, August 7, 2008

कौनसी खबर दिखाएंगे ये चैनल




देश के सामने एक नया नवेला न्यूज चैनल है, वायस ऑफ इंडिया। इसके संपादक भी बड़े नामधारी पत्रकार हैं, रामकृपाल सिंहजी। पर चैनल का विज्ञापन इतना भद्दा? अब पता नहीं चैनल पर खबर दिखाते हैं या फिर भ्रम ही दूर करते हैं।