राजस्थान में एसटी में आरक्षण मांग रहे गुर्जर समाज ने देश भर को ऐसा फंडा दे दिया जो सारे देश के रेल यात्रियों पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। 27 दिन राजस्थान से गुजरने वाली ट्रेनें अस्तव्यस्त रहीं और रेलवे को करोड़ों रुपए यात्रियों को टिकट कैंसिल कराने पर लौटाने पड़े। पूरे देश में बच्चे नानी दादी के छुçट्टयां मनाने से वंचित रहे सो अलग।आरक्षण का आंदोलन बड़ी मुश्किल थमा कि मुंबई में सिरसा डेरा प्रमुख गुरुमीत राम रहीम सिंह के चेले की गोली से मुंबई में एक व्यक्ति की मौत के विरोध में पंजाब और हरियाणा में रेल यातायात बुरी तरह प्रभावित रहा। अब बताइये कि आरक्षण न मिलने और गोली चलने में रेलों की क्या गलती। अगर लालूजी के रिश्तेदार या पार्टी वाले ने भी गोली चलाई होती तो भी ट्रेनें ठप करने का दमदमी टकसाल का निर्णय सही होता। अब 26 जून की कहानी सुनिए, जयपुर के पास फुलेरा में एक ट्रेन के स्टॉपेज करने की मांग को लेकर स्थानीय लोगों ने चार ट्रेनों को चार घंटे तक रोके रखा। बाद में एडीआरएम के स्टॉपेज जारी रखने के आश्वासन के बाद ही ग्रामीणों ने ट्रेन को जाने दिया।
6 comments:
वाह राजीव जी, सही कहा आपने, गुर्जरों ने देश के असंतुष्ट वर्ग को रेल रोकने का जो मंत्र दिया है, वो लोगो को भा गया है. सिखों ने सबसे पहले इसका प्रयोग कर डाला है.
राजीव जी अब हम कर भी क्या सकते हैं लेकिन यह भी सही है की बिना ट्रेन रोके सरकार को बात कहाँ पता चल पाता कि यहाँ का स्टापेज बंद कर दिया गया है. वैसे आप का लेख अच्छा है.
सच कह रहे हैं, फैशन ही तो हो गया है रेल रोको आंदोलन.
अफसोस हो ता है इन लोगों को देख.
फैसन नहीं दुस्साहस कहें. आपके इस लेख के बाद जयपुर में खातीपुरा के लोगों ने मिलिट्री एरिया में ट्रेन रोक दी. यहाँ लोग रास्ते की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे इससे करीब आठ ट्रेनों का सनाचालं प्रभावित हुआ.
rajeev bhai salarybadhwani hogi to isbaar patri par hi jakar baithenge
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