हिंदी बडी है या राज ठाकरे
महाराष्ट में राज ठाकरे लोकप्रियता बटोरने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। अभी चुनाव हुए चार दिन हुए कि उन्होंने मराठी को लेकर फिर राजनीति शुरू कर दी। उनकी पार्टी एमएनएस के विधायकों ने सदन में ही दादागिरी शुरू कर दी। वहां से समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी को शपथ लेने से रोका, माइक हटाकर थप्पड जड दिया।
उनका कसूर यही था कि उन्होंने राष्टभाषा हिंदी में शपथ लेने की कोशिश की। एमएनएस का तर्क था कि वे महाराष्ट के विधायक हैं और वहां उन्हें मराठी में शपथ लेनी चाहिए। सपा की ओर से तर्क दिया गया कि आजमी को मराठी नहीं आती, लेकिन एमएनएस नेता राम कदम ने कहा कि दस दिन पहले ही सभी को मराठी में शपथ लेने को कह दिया गया था, उन्हें इतने दिन में मराठी सीख लेनी चाहिए थी।
खैर जो कुछ भी हो
पर यह बात समझ से परे हैं कि देश के किसी भी राज्य में कुछ गुंडे हिंदी बोलने पर ही पाबंदी लगा दें, वो भी विधानसभा के भीतर। अपने राज्य की भाषा को सम्मान दिलाने के पचासों तरीके हैं पर किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता। एमएनएस ने जो किया इससे ज्यादा बडा देशद्रोह शायद सदन में तो शायद संभव नहीं है।
अगर इस तरह के मामलों को गंभीरता से नहीं लिया गया तो जो लालू यादव कह रहे हैं उस बात से इत्तेफाक रखना ही होगा कि देश को टूटने से कोई नहीं रोक सकता। हालत यह हो जाएगी कि उत्तर का आदमी दक्षिणवाले से चिढेगा, पूर्व वाला पश्विम वाले से चिढेगा। देश में कोई भारतीय नहीं होगा।
कोई राजस्थानी होगा, कोई मराठी, कोई गुजराती। कोई हिंदू होगा तो कोई मुसलमान।
सब कुछ होगा बस न बचेगा तो कोई भारतीय
इसलिए पहले भारत को बचाओ, जब भारत बचेगा तब मुंबई होगी, राज होंगे और फिर उनकी एमएनएस
2 comments:
बहुत दिनों बाद गंभीर पढने को मिला...
Bhai Vichar to theek hai, par likhne ka time kab nikala. Aajkal Fursat me ho kya...
http://myindiamycause.wordpress.com
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