26 अगस्त को मैं ग्वालियर से जयपुर लौट रहा था। टेन आगरा फोर्ट स्टेशन पर करीब 45 मिनट रुकती हैं। मोबाइल की बैटरी डिस्चार्ज थी तो सोचा टाइम का सदुपयोग कर लिया जाए। प्रथम श्रेणी वेटिंग रूम में चार्जर पर फोन लगाकर मै उसके गेट पर खडे होकर टाइमपास कर रहा था कि एक आम आदमी से एक राज की बात पता चली जिस पर मैंने 27 साल में कभी विचार ही नहीं किया।
क्या पता आपका आगरा जाना कब हो मैं ही इस राज से रूबरू करा देता हूं।
हुआ यूं कि एक युवक आया और गेट के पास ही पेठा बेच रहे दुकानदार से पूछा कि भाईसाहब इंटरसिटी में जनरल डिब्बा कहां होगा। बस आदत के मारे एक भाईसाहब बीच में ही टपक लिए। दनादन बोले एक बात समझ लो हमेशा टेन में जनरल डिब्बा एक आगे और एक पीछे ही होता है, भले ही टेन कोई सी भी क्यों न हो। और ये भी सुन लो कि क्यों होते हैं, खैर सामान लादे वो भाई साहब तो निकल लिए इतना सुनते ही लेकिन मुझसे रहा नहीं गया। मैंने पूछ ही लिया भाई साहब इतनी बडी बात है अब श्रीमुख तक आ ही गई है तो फरमा ही दीजिए।
बस इतना कहना था कि भाई तो और ऊपर चढ गए डिटेल से समझाने लगे बोले, कल को कोई गडबड हो जाए तो आगे और पीछे मरेंगे तो जनरल कोच वाले ही और आपको तो पता ही होगा कि न तो जनरल में सारे लोग टिकट लेकर चढते हैं और न ही उनके नाम पते होते हैं। मर भी गए तो डेडबॉडी भी नहीं ढूंढनी होगी। बस जितने मिले उतने ही घोषित करके काम खत्म। मान लो पहला डिब्बा एसी हो और एक्सिडेंट हो जाए तो मिस्टर सो एंड सो की डेडबॉडी तो खोजनी ही पडेगी अब जनरल में रामपाल मिले या धनपाल, काउंटिग ही तो करनी है।
बस इतना सुनकर मैंने उनके अद़भुत रेलवे ज्ञान को नमस्कार किया और सोचा कि वाह यार कारण जो भी रहा हो, किसी न किसी डिब्बे को तो आगे पीछे लगना ही था, चाहे एसी हो या जनरल। पर जो व्याख्या की उसे नकारा भी नहीं जा सकता, क्यूं क्या ख्याल है आपका।
7 comments:
इस राज में बहुत दम नहीं है। सवाल यह है कि क्या बिना टिकट या बिना नाम पते वाले जनरल टिकट पर लोग क्या आरक्षित बोगियों में सफर नहीं करते हैं। दूसरी बात, जनरल बोगियां यात्रियों की सुविधा के लिए रेल में आगे या पीछे जुडती हैं, तीसरी बात, जनरल बोगियां अगर बीच में जुड जाएं तो पेंट्री कार वालों को परेशानी होगी। वे रेल के अंदर ही अंदर एक से दूसरे डिब्बे में नहीं जा पाएंगे। चौथी बात, जनरल बोगियां बीच में हों, तो आरक्षित बोगियों परस्पर नहीं जुड पाएंगी, यात्रियों, पुलिस और रेल कर्मियों को परेशानी होगी।
bus aap apne anhubhav ese hi bathte rahi
achi shuruaat hai. bas yun hi likhte rahiye. lekin thi to gyan ki baat.
lage raho rajeev bhai.....
pate ki baat hai dear, dum hai is argument me lage raho achchi shuruaat hai
bahut hi achha hai sach me raaz ki baat hai kabhi is baat par socha hi nahi ab to sochna hoga
ye duniya h.. sabki apni soch h.. wo bechara -ive soch wala tha isliye -ive bola.. ab mr gyanesh ko lo.. +ive soch k kitna sahi bataya h...
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