विश्वास नहीं होता कि मेरे अपने शहर में विस्फोट हुआ है। शाम को सवा सात बज रहे थे। संपादकजी के साथ रोजमराü की तरह मीटिंग खत्म करके निकले ही थे कि अचानक किसी ने कहा कि जयपुर में बम फटे। मैंने मजाक में कहा शायद सूतली का बम फटा होगा। फिर किसी ने कहा कि नहीं बम विस्फोट हुआ है, तो भी मैं अपने शांतिप्रिय शहर से वाकिफ हूं। तब भी मैंने कहा कि हो सकता है कि कोई सिलेंडर फटा होगा। लेकिन तब तक ऑफिस के सारे फोन घराü गए, सभी रिपोर्टर्स और फोटोजनलिस्ट्स को मौके पर दौड़ा दिया। एक के बाद एक 35 मिनट के दौरान आठ धमाके हुए, 67 लोग मारे गए और 200 से ज्यादा घायल हो गए।
टीवी चैनलों ने आनन फानन में खबरें चलाई। कुछ सही कुछ गलत, कितनी ही अफवाहें निकलीं, कुछ अपने ही दावे करते रहे। खैर देर रात तक अपने अपने दावे क्रिया प्रतिक्रिया आती रहीं। कुल मिलाकर साढे़ तीन बजे तक खबरों से जूजझते रहे। काम खत्म करके विस्फोट वाले इलाके को छोड़ शहर का चक्कर मारा, रास्ते में एक भी पुलिसवाला नहीं मिला। मैं असमंजस में था, शहर में आठ विस्फोट हुए उसके बावजूद पुलिस सिर्फ घटनास्थल तक ही सीमित, कमाल है?
घर पहुंच गया, लेकि न सुबह तक नींद नहीं आई। अखबारों का इंतजार करता रहा, शहर के सारे अखबार देरी से थे, सात बजे के बाद अखबार आए, सारी खबरें पढ़ लीं। मैं खुद रात में इन खबरों का हिस्सा था, लेकिन अब एक दिन बाद भी विश्वास नहीं होता कि जयपुर में भी ऐसा हादसा हो सकता है। पता नहीं किसकी नजर लगी है जयपुर की शांति को?
5 comments:
अति निन्दनीय एवं दुखद घटना.
जयपुर जयपुर न रहा, इसे फिर से जयपुर बनाएं।
शर्मनाक घटना है।
मुझे खुद अपने कानो पर विश्वास नही हुआ.. जयपुर जैसे शांतिप्रिय शहर में ऐसी घटना की उम्मीद नही की थी.. अभी तक मन विचलित है..
ईश्वर से प्रार्थना है हादसे के शिकार लोगो को शांति मिले और दोषियो को सज़ा
sir i got you on my blog
it is realy a great pleasure for me
jaipur accident is like a bad dream for us i hope we will come out soon from this problem moment
with love and peace
scam24inhindi.blogspot.com
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