Wednesday, November 19, 2008

बस यूं ही

एक महीने से ज्यादा हो गया। ब्लॉग पर कुछ लिख नहीं पाया, हालांकि इतना बिजी भी नहीं था कि कुछ लिख न सकूं। पर मुझे लगता है कि कई बार लिखने के क्रम में ऐसा ब्रेक लगता है कि सारी तारतम्यता बिगड़ जाती है। इतने दिनों में कई फिल्में देखीं, लैपटॉप ले लिया, दिवाली आकर चली गई, कई लिखी हुई पोस्ट भी ब्लॉग पर लगा नहीं पाया।
इस बीच कई लोगों ने यह जानने के लिए फोन किया, कुछ ने मेल की, क्या मैं जिंदा हूं। कुछ ने पूछा कि आजकल लिख क्यूं नहीं रहे। पता नहीं ऐसा कैसे हो गया। खैर आज बहुत दिनों बाद लिख रहा हूं। वो भी बस यूं ही। इस उम्मीद के साथ कि ये न लिखने का क्रम टूटेगा।

1 comment:

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

शुक्र है राजीव, आज कम से कम तुम्हारा लिखा हुआ कुछ पढ़ तो पाएंगे, अब जल्दी से कुछ राजीव स्टाइल धमाकेदार पोस्टें लिखो ताकि हम जैसे रेगुलर रीडर्स को कुछ पढने को तो मिले।