Sunday, December 7, 2008

एक शाम दिल बहुत उदास था


एक शाम दिल बहुत उदास था
इतने में रिशेप्सन से फोन आया
कोई मिलना चाहता है आपसे
मैं बोला जो भी हो कह दो बिजी हूं
आज छह दिसंबर है
रिशेप्सनिस्ट बोली आज तो सब शांति है न
यही तो परेशानी है,दो घंटे बाद लाइव शो है
क्या दिखाउंगा पुरानी क्लिपिंग के सिवाय
देश में पत्ता भी न जला,बस मुझे यही गम है

6 comments:

sandeep sharma said...

कर दी न पत्रकारों वाली बात...

दिनेशराय द्विवेदी said...

बिना गढ़े समाचार पत्रकार संपूर्ण नहीं होता।

Anonymous said...

सही है. अब कविता भी करने लगे?

Unknown said...

आपका ब्लॉग पढ़ा ....जीवन्तता बनाए रखें .... समाज की कड़वी सच्चाइयां पीकर ही पत्रकार समाज को बेहतर समझ सकता है . __मौका मिले तो__http://tillanrichhariya.blogspot.com/.पर आयें !

the cartoonist said...

achchha hai..

Puneet Sahalot said...

aapki rachana padhkar bahut achha laga... :)