एक शाम दिल बहुत उदास था
एक शाम दिल बहुत उदास था
इतने में रिशेप्सन से फोन आया
कोई मिलना चाहता है आपसे
मैं बोला जो भी हो कह दो बिजी हूं
आज छह दिसंबर है
रिशेप्सनिस्ट बोली आज तो सब शांति है न
यही तो परेशानी है,दो घंटे बाद लाइव शो है
क्या दिखाउंगा पुरानी क्लिपिंग के सिवाय
देश में पत्ता भी न जला,बस मुझे यही गम है
6 comments:
कर दी न पत्रकारों वाली बात...
बिना गढ़े समाचार पत्रकार संपूर्ण नहीं होता।
सही है. अब कविता भी करने लगे?
आपका ब्लॉग पढ़ा ....जीवन्तता बनाए रखें .... समाज की कड़वी सच्चाइयां पीकर ही पत्रकार समाज को बेहतर समझ सकता है . __मौका मिले तो__http://tillanrichhariya.blogspot.com/.पर आयें !
achchha hai..
aapki rachana padhkar bahut achha laga... :)
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