Monday, March 16, 2009

क्‍या किसी ने देखे हैं भूत


आफिस से काम खत्‍म होने के बाद अक्‍सर हम चाय पीने चले जाते हैं। कल रात भी हम निकल पडे चाय पीने। जब तक चाय बनती हमारे एक मित्र सुधाकरजी ने भूतों के अस्तित्‍व का सवाल छेड दिया। हुआ यूं कि कल ही उनके एक सालेजी ने उन्‍हें अपना साथ कई साल पहले घटा एक वाकया सुनाया था। सुधाकरजी का कहना है कि वे पुलिस में हैं और उनकी बात पर उन्‍हें पूरा यकीन है, क्‍यूंकि न तो वो झूठ बोलते हैं न ही कभी मजाक करते हैं।
किस्‍सा कुछ यूं था कि उन समेत तीन पुलिसवाले एक जीप से काम खत्‍म करके घर जा रहे थे कि गाडी गवर्नमेंट हॉस्‍टल (जयपुर का एक चौराहा) से गुजरी वहां एक सुंदर महिला ने रात करीब दो बजे लिफट मांगी। पुलिस वालों ने मदद के वास्‍ते गाडी रोकी तो महिला ने गोपालपुरा चौराहे तक छोडने को कहा, उन लोगों को सांगानेर तक जाना था इसलिए लिफट दे दी गई।
महिला को छोडते समय उन्‍होंने महिला के पैरों की तरफ देखा तो पंजे उल्‍टे थे। सभी के होश उड गए और डाइवर ने गोली की स्‍पीड से गाडी दौडा दी।
इसके बाद तो बस किस्‍सों की बाढ आ गई। हमारे एक और साथी तरुण और दिनेशजी ने भी एक के बाद एक किस्‍से सुना दिए। दिनेशजी ने भी इस तर्क का समर्थन किया कि उन्‍होंने भी एक बार इस तरह के एक साए को महसूस किया है। 1979 की बात कर रहे थे वो कि उन्‍होंने अपने पीछे एक साए का पीछा करते हुए देखा और अचानक वो गायब हो गया।
खैर ये किस्‍से तो करीब दो घंटे में खत्‍म हो गए पर मैं यह सोचता रहा कि क्‍या किसी ने भूत देखे हैं।
खैर
पता नहीं लेकिन मैंने आजतक जितने किस्‍से सुने उनमें बताया गया कि भूत या चुडैल के पंजे उल्‍टे होते हैं
मिठाई या सफेद चीज का पीछा करते हैं
हनुमानजी का नाम लेने पर गायब हो जाते हैं

अपन भी जय हनुमानजी की करते हुए घर पहुंच गए
और सुबह होने तक सोचते रहे कि क्‍या है कहीं भूत का अस्तित्‍व ?
इस बीच नींद लग गई और यह चिंतन अधूरा ही रह गया।

10 comments:

Mohinder56 said...

भईये इस दुनिया में भूत ज्यादा इन्सान कम हैं... कम से कम मेरा तो यही मानना है.. :)

संध्या said...

yaar vasae mera katai yeh makshad nahin hai ki aap dar jaiyan. lekin bhut hotae hain.

sandeep sharma said...

भाई भूत होते तो हैं... पर राक्षसों (press) से दूर ही रहते हैं...

बाकि हनुमान चालीसा जिंदाबाद....

Anonymous said...

sandeep jee ka kahna bilkul sahi hai. par rajeev jee pata to lagayein ki bhoot idhar adhik hain ya aapke kheme mein.

Dileepraaj Nagpal said...

Bhhoton ka to pta nahi cudeelen to hoti hain...aap aur main roj dekhte hain ek cudeel ko to... apne peeche dekho...kuch dikha...ulte panv...

संगीता पुरी said...

मेरे ख्‍याल से भूत प्रेत मन का वहम है और कुछ नहीं।

mamta said...

भूत होते है या नही पर हाँ बचपन से गाँव-घर मे किस्से जरूर सुनते आ रहे है ।

DUSHYANT said...

shuruwat kee TRP badh rahee hai...gaur karen...

L.Goswami said...

अच्छा भुत भी कुछ होते हैं.. आश्चर्य!!

rakhee said...

bhoot hote hai. mere ghar main 1 mahila ek diwar se nikal kar dusari diwar main gayab ho jati hai. wo bhoot hai. kabhi dekhna ho to most welcome.