अजब है उनकी जिंदगी, पता नहीं कैसे जीती हैं
हर वक्त सिर्फ दूसरों के लिए ही जीती हैं वो
खुद के लिए जीना तो शायद जानती ही नहीं
आडे आते है मां-बाप या पति और प्रेमी के ख्वाव
कल उससे बात हुई तो हैरान हो गया मैं
उसके नूर के पीछे की स्याह जिंदगी में झांका ही नहीं पहले कभी
क्या उनके अरमान पूरे करेगा कोई सोचता हूं मैं
शायद कर भी दे कोई, पर कभी खुद के लिए सोचा भी होगा
हर वक्त सिर्फ दूसरों के लिए ही जीती हैं वो
खुद के लिए जीना तो शायद जानती ही नहीं
आडे आते है मां-बाप या पति और प्रेमी के ख्वाव
कल उससे बात हुई तो हैरान हो गया मैं
उसके नूर के पीछे की स्याह जिंदगी में झांका ही नहीं पहले कभी
क्या उनके अरमान पूरे करेगा कोई सोचता हूं मैं
शायद कर भी दे कोई, पर कभी खुद के लिए सोचा भी होगा
- (लेखक न तो नारीवादी हैं, न ही कवि
बस यू ही किसी पुरानी दोस्त से बातचीत हुई तो
अचानक कलम चल गई,
जो बन पडा पेश है,
कोई सुझाव हो तो मार्गदर्शन करें )
6 comments:
bahoot khoob ...aachaa likha hain aapne
kaun k dukh se itne dukhi ho rhe ho.. waise badiya h
Kahan chupa tha ye Rajeev??? Very good bro.. keep it up! I appreciate.
is samaj ne striyon ko khud ke liye jeena sikhaya hi nahi. tyaag, tapasya or balidan ki devi is naari ka inasan bankar jine ka adhika na jane kahan chhut gaya..
इसलिए तो सर नारी आदरणीय है। यही एकमात्र महत्वपूर्ण वजह है, जिसने कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में लोगों के दिलों में नारी के प्रति आदर भाव कायम रखा हुआ है। जिस पल भी वह दूसरों से ज्यादा स्वयं के लिए सोचने लगेगी, तब उसका महत्व शायद उतना न रह पाए। चाहे मित्र, बहन, मां, दादी, पत्नी किसी भी रूप में हो उसकी यही सोच उसे हमेशा से दूसरों की नजरों में ऊपर उठाती रही है।
शास्त्रों की बात करें तो उसमें भी नारी के इसी रूप की वजह से उसे पूज्यनीय और आदरणीय बताया है। लक्ष्मी को हमेशा आदर भाव से देखना चाहिए चाहे वह किसी भी रूप में हो। यदि आपनी बात करुं तो उन लोगों को बहुत सम्मान करती हूं, जो चाहे अपनी हो या दूसरों की नारी के हर रूप का आदर करते हैं और शायद उनके लिए यही सबसे बडा संतोष होता है कि कोई उन्हें आदर भाव से देखे।
सीमा मल्होत्रा, जयपुर
bohot achha likha hai aapne..
http://shaam-e-ghazal.blogspot.com
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