Monday, December 24, 2007
मोदी की जीत का पोस्टमार्टम
गुजरात में मोदी की हर मायने में दूसरे चुनावों में दूसरे नेताओं की जीत से अलग है। मीडिया से लेकर विरोधी तक मोदी के पीछे पडा था और विकास या दूसरे मुददों को छोड लोग अब तक गोधरा का मामला उठाए जा रहे थे। इस जीत के पीछे क्या कारण रहे यह जानते है।
मोदी का निश्कलंक जीवन
मोदी का व्यक्तिगत जीवन बेदाग रहा है और उनका पॉलिटिकल करियर भी साफ सुथरा है। इसने भी मोदी को तीसरी बाद मुख्यमंत्री बनवाने में अहम भूमिका निभाई है।
गुजरात का गौरव
साढे पांच करोड गुजरातियों की अस्मिता की बात करने वाले मोदी का यह स्टाइल भी गुजरात में खासा लोकप्रिय है। मोदी जब गुजरात गौरव और वाइब्रेंट गुजरात की बात करते हैं तो उनके विरोधी भी भाग खडे होते हैं।
विकास का मुददा
गुजरात में विकास की बात को हर आदमी स्वीकरा करता है। यह बात भी मोदी के खाते में गई है। निवेशक गुजरात में पैसा लगाने को तैयार हैं। आंकडे इसकी पुष्टि करते हैं। भले ही किसी ने कितनी भी बुराई क्यूं न कर ली हो। विकास गुजरात में दिखाई देने लगता है। ज्यादातर लोगों की बिजली, पानी और सडक जैसी समस्याएं अब खत्म हो गईं।
कामकाज में ईमानदारी
गुजरात में विपदाओं के समय विशेषकर सुनामी और भूकंप के समय किए गए कार्यों और उनके टिकाऊपन ने भी भाजपा में लोगों का विश्वास बनाए रखा। मोदी के काल में प्रशासनिक स्तर पर भी चुस्ती का फायदा उन्हें मिला है।
टिकट बंटवारा
गुजरात के पूरे चुनावों में केंद्रीय नेतृत्व में सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी पर दांव खेला वहां न तो उनकी मंजूरी के बिना किसी और को गुजरात मे प्रचार करने भेजा गया न ही, किसी और नेता ने कोई बयान दिया। टिकट वितरण में पूरी तरह मोदी की चली और उन्होंने कई वर्तमान विधायकों के टिकट काट दिए। हालाकि उनमें से कुछ पटेल लॉबी और केशुभाई समर्थकों ने निर्दलीय या कुछ ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लडे पर मोदी के आगे उनकी पेश नहीं खाई।
और सबसे बडी बात एंटी इनकंबैंसी फैक्टर को मोदी ने अंगूठा दिखा दिया उन्होंने बता दिया कि विकास में हिन्दुत्व का तडका लगाकर कैसे विजेता बना जाता है।
(गुजरात पर इसी महीने में यह तीसरी पोस्ट है, इसे अन्यथा न लें सुझावों से जरूर अवगत कराएं। बुरे को बुरा और अच्छे को अच्छा लिखें ताकी आपको कचरा पढने से मुक्ति मिले - राजीव )
मोदी के तारे आसमान में क्यूं बदनाम करते हो गुजरात को
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6 comments:
बाकी सब ठीक है पर मोदी का अविवाहित होना??
भाई साहब रिकार्ड रूम में जाकर 2002 का इंडियन एक्स्प्रेस पढ़िये, अंक कौन सा है मुझे याद नही पर एक रविवारीय परिशिष्ट में फ़ुल पेज की कवर स्टोरी रही थी तब, मोदी पर। इसमे उनके वैवाहिक जीवन का भी उल्लेख है, उनकी शिक्षक पत्नी के चित्र समेत और उनसे बातचीत भी!!
हां आप यह जरुर लिख सकते हैं कि मोदी जी ने पिछले कई सालों से वैवाहिक जीवन का परित्याग कर रखा है लेकिन यह नही कह सकते कि मोदी अविवाहित हैं।
क्या कारण है कि किसी राजनेता की पिछली कई पीढ़ियों की जड़े तक खोद निकालने वाला हमारा मीडिया मोदी जी के राजनैतिक जीवन से परे उनके जीवन का पिछला हिस्सा देख ही नही पाता।
@ Sanjeet Tripathi said...
संजीत जी क्षमा चाहता हूं, मेरी जानकारी में यही था क्यूंकि उनकी ऑफिशियल प्रोफाइल में भी यही दिखाया गया था। फिलहाल मैंने अपनी पोस्ट से यह जानकारी हटा दी है, लेकिन मैंने अहमदाबाद और गुजरात में अपने मित्रों से जानकारी मांगी है। आपकी बात एकदम दुरुस्त है और उनकी पत्नी के बारे में सारी जानकारी अगली पोस्ट में देने की कोशिश करुंगा।
हां जी, अविवाहित वाली लाईन हटा कर फिलहाल ठीक ही किया आपने।
सहमत हूँ
मोदी ने साबित कर दिखाया कि कोई व्यक्ति पार्टी और संगठन की धज्जियां उड़ाकर कैसे सीधे जनता तक पहुंच सकता है। यानी व्यक्ति पार्टी से ऊपर है। लेकिन गुजरात चुनावों में बीजेपी के दिग्गज असंतुष्टों की हार ने यह भी दिखाया है कि पार्टी किसी भी व्यक्ति से ऊपर होती है। एक ही समय पार्टी और व्यक्ति के रिश्तों का यह विरोधाभास मेरी समझ में नहीं आ रहा है।
राजीव जी,
पोस्ट मॉर्टम शब्द यहां कुछ उपयुक्त नहीं लगा. इस शब्द का हिन्दी अनुवाद होता है : शव परीक्षा. (पोस्ट यानि उत्तर और मॉर्टम यानि मृत).
अगर आप इसकी बजाय मोदी की जीत का विश्लेषण जैसी कोई अभिव्यक्ति काम में लेते तो बेहतर होता.
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