Saturday, December 29, 2007
बस कटटरपंथियों से खुद को बचाएं हनुमानजी
हनुमानजी फिर पृथ्वी पर आए हैं। बस खुद को कटटरपंथियों से बचाएं। दो दिन से तो सब ठीक ठाक है। बस कहीं किसी की नजर न लग जाए।
अपन ने रिलीज के दो दिन बाद अनुराग कश्यप की हनुमान की सिक्वेल हनुमान रिर्टन्स रविवार सुबह 10 से 12 के शो में राजमंदिर में देखी।
फिल्म गजब की है। हालांकि हमेशा की तरह फिल्म के डायरेक्टर साहब ने पहले ही लिख दिया की सबकुछ काल्पनिक है, लेकिन इन कटटरपंथियों से भगवान बचाए पता नहीं क्या बुरा लग जाए।
फिल्म की कहानी के अनुसार हनुमानजी पृथ्वी पर जन्म लेने की इच्छा रखते हैं। और वे बजरंगपुरी में एक पंडितजी के परिवार में मानव रूप में जन्म लेते हैं। जन्म के तीन महीने बाद ही स्कूल पढने चले जाते हैं, कृष्ण की तर्ज पर पूरे गांव का खाना खा जाते हैं। तंग होकर गांव वाले उन्हें परिवार सहित गांव से बाहर निकाल देते हैं। उधर, स्कूल में मारुति यानी अपन के हनुमानजी की शरारत जबरदस्त होती है, अपने दोस्त दीपू को कई बार बचाते हैं। गांव के गब्बरनुमा डाकू को अपनी वानरसेना के साथ मिलकर पीटते हैं।
फिल्म में हर सीन में नयापन है, कहीं की ईंट कहीं का रोडा खूब फिट किया है। गौर से देखें तो कार्टून करेक्टर में जय वीरु, अपन के शाहरुख जैसी आवाज और अदा, सलमान की तरह बंदर का बनियान और शर्ट खोलकर फेंकना, बच्चों के साथ साथ बडों को भी गुदगुदाता है।
भले ही स्वर्ग में चित्रगुप्त लैपटॉप पर पूरी दुनिया का डेटा रखते हों या खाली समय में मेनका डॉट कॉम देख रहे हों।
या जगत शिरोमणी ब्रहमाजी एलसीडी पर पृथ्वी का हाल दिखाते हैं। मुनि नारद कान लगाकर मेनका और विष्णु की बातचीत सुन रहे हैं।
हनुमान को अपना कान्टेक्ट याद दिलाने के लिए नारद का चार्टर प्लेन से पृथ्वी पर पहुंचना और मुसिबत में वीणा को गिटार बताकर ओम शांति ओउम गाना दर्शकों को गुदगुदाता है, पर बस किसी को बुरा न लग जाए। अपन तो यही प्रार्थना करते हैं।
बच्चे मजा तो तब लेते है जब राहू केतू से युदध के समय एक बंदर की पिस्तौल में एक गोली बचती है और सामने दो राक्षस होते हैं, अपने बंदरजी आगे चाकू लगाकर फायर करते हैं, एक गोली के दो टुकडे हो जाते हैं और डिच्काऊ। दोनों खल्लास।
बस फिल्म देखते समय दिमाग को साइड में रखकर बच्चे बनकर एंजाय करेंगे तो लगेगा कि आपने फिल्म देखकर कोई गलती नहीं की।
कुल मिलाकर पूरी फिल्म में एनिमेशन में स्पीड है, करैक्टरर्स की आवाज अच्छी हैं। कुछ की शैली कई पुराने हीरो मसलन संजीव कुमार, अमजद अली खान, जगदीप, राजकुमार और शाहरुख तक से मिलती जुलती है। एनिमेशन में स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से लेकर सौर मंडल तक के दर्शन हो जाएंगे।
कुल मिलाकर फिल्म कहीं भी अपने पहले पार्ट जो 2005 में आया से कम नहीं है। आपने अगर हनुमान नहीं भी देखी तो आप कुछ भी मिस नहीं करते। दिलेर और अदनान की आवाज में गाने अच्छे हैं। बाहर निकलते निकलते आप भी गुनगुनाते मिलेंगे। फिल्म की अंग्रेजी यानी कि डायलॉग के बीच अंग्रेजी जहां ठूंसी गई हैं मजा आता है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
हास्यास्पद प्रयास की एेसी तारीफ.फिर से देखें,आप की समझ से पूरी सहानुभूति है.
आप जिस बात के लिए दूसरों को बधाई दे रहे हैं उसके हकदार आप खुद भी हैं
'हिंदुस्तान' के संपादकीय में आपके ब्लॉग का जिक्र भी है
Post a Comment