Sunday, March 8, 2009

चल बसा एक गुमनाम सांसद !


जयपुर से भाजपा सांसद गिरधारीलाल भार्गव का रविवार को निधन हो गया। अपन सुबह नींद में थे कि सुबह छोटे भाई ने उनके पड़ोस में रहने वाले किसी परिचित के हवाले से यह दु:खद खबर दी। यूं तो सबको जाना होता है, उम्र भी थी उनकी 72 पर, शायद जल्दी चले गए। उनकी रग-रग में जयपुर बसा था, शहर को गिनाने के लिए भले ही उनके हिस्से में कोई खास उपलब्ध न हों, पर शायद उनसे ज्यादा लोकप्रिय कोई सांसद देश में हो, कम से कम राजस्थान में तो ऐसा कोई पैदा नहीं हुआ।
छह बार लगातार सांसद रहना और उससे पहले तीन बार विधायक और एक बार छात्रसंघ अध्यक्ष बनना उनकी लोकप्रियता का ही एक उदाहरण था। उन्होंने सबसे कम वोटों से जयपुर के ही पूर्व नरेश को 1989 के लोकसभा चुनावों में हराया और यह आंकड़ा भी करीब 85 हजार था। उनके सामने चुनाव लड़ने के लिए हिम्मत जुटाना ही अपने आप में बड़ी बात थी।
पर यूं पार्टी में उनकी गत पर अपन को कई बार अफसोस रहा, कहते हैं न शरीफ आदमी की राजनीति में इज्जत नहीं होती, इसका भार्गव से बड़ा कहीं कोई उदाहरण नहीं हो सकता। क्योंकि इस सबके बावजूद उन्होंने कभी अपने लिए पद की मांग नहीं की वहीं पार्टी ने न कभी उन्हें पद के योग्य समझा न मंत्री बनने के। हालात तो ये थे कि हाल के विधानसभा चुनावों में तो उन्हें बुजुर्ग कहकर विधानसभा चुनाव लड़ने या संन्यास लेने तक के लिए कह दिया गया! एक कार्यक्रम में तो बेचारे भार्गव ने खुद को जवान दिखाने के लिए उठक बैठक कर डाली।
हालत इतनी खराब थी कि शायद वे देश का इकलौता सांसद होगा कि जिसका फोन अगर अखबार के दफ्तर में आ जाए तो उठाने वाला आदमी एक दूसरे को यह कहकर टाल देता हो कि यार भार्गव साहब का फोन है खबर लिखाएंगे तू सुन ले।
अपन चार साल से जयपुर के मीडिया में हैं, लेकिन अपन को लगता है कि उन्हें मजबूरी में ही अखबार और टीवी पर जगह दी जाती होगी। बेचारे हर छोटे से छोटे प्रोग्राम में जाते पर उनकी फोटो कितनी बार छपी होगी अपन को याद नहीं। शायद इसका अनुमान उस समय हुआ जब `स्मृति शेष´ के स्पेशल पेज के लिए पुराने फोटो जुटाने की याद आई।
वैसे अपन का उनसे एक बार यूं ही फोन पर और एक बार असलियत में वास्ता पड़ा, पर उनकी सादगी के लिए मुझे कहना ही होगा कि शायद, चल बसा एक गुमनाम सांसद, जिसके लिए कहा जाता था, जिसका न पूछे कोई हाल, उसके संग गिरधारीलाल!

5 comments:

Udan Tashtari said...

शरीफों के यही हालात होते हैं आजकल.

श्रृद्धांजलि.

sandeep sharma said...

घटना दुखद है... जयपुर और उनके परिवार के लिए...

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अविनाश वाचस्पति said...

गुमनाम नहीं

इनको कार्यों का

बहुत नाम है

अनेक में नेक

विरले ही होते हैं।

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

wakai unka jaana pure jaipur ke liye sadmaa tha

GKK said...

its a sad news. when i was in jaipur for four years I heard a lot about him.

bhagwaan unki aatma ko shaanti de