Wednesday, December 12, 2007
मुश्किल से बनी है चाय, आप पिएंगे क्या
साढे बारह बजे थे फोन बजा तो नींद खुली, मित्र ने फरमाया गेट पर खडा हूं अंदर कैसे आऊं। दरवाजा खोला और उसे नीचे से ऊपर तक लाया।
जनाब दिल्ली में पडोस में ही रहते थे तो आवभगत में कमी नहीं छोडना चाहता था। पर इससे पहले की मैं पूछता उन्होंने ही कह दिया, यार दूध का इंतजाम हो तो चाय पी लें, मौसम में थोडी ठंडक है।
किचन में देखा तो रात वाला दूध तो अपन के भाई लोगों ने सुबह ही खत्म कर दिया।
सोचा बाजार से ले आऊं। पर ये क्या आजू बाजू की तीनों डेरियां बंद हैं, लगता है जयपुर में डेयरी वाले आफटरनून सिएस्टा का शिकार हो गए हैं।( एक खुली थी पर जनाब आधी शटर गिराकर सामने की बैंक में रुपए जमा कराने गए थे) इन सरस डेरी वालों को गरियाते हुए घर आ ही रहा था कि एक बुकसेलर की दुकान पर बोर्ड देखा “यहां अमूल का दूध मिलता है।“
शायद कल ही लगा था यह बोर्ड, क्यूंकि जयपुर में अमूल का दूध हाल में ही मिलना शुरू हुआ है।
यह बोर्ड देख मैं इतना खुश हुआ जितना तो माउंट एवरेस्ट पर चढकर एडमंड हिलेरी भी नहीं हुए होंगे। खुशी खुशी घर पहुंचा गैस पर पानी रखा चाय पत्ती डालने के बाद चीनी का डिब्बा खोला तो पता चला चीनी नदारद है। लगा जैसे किसी ने माउंट एवरेस्ट से धक्का मार दिया।
क्या करता मित्र ने तुरंत बोल दिया यार रहने दो अब फिर क्यूं जाओगे बाजार, चाय तो थडी पर ही पी जा सकती है, मैं भी चलता हूं।
लेकिन मैंने भी सोच लिया जब एडमंड हिलेरी एवरेस्ट पर चढ सकते हैं तो मैं दोस्त को चाय क्यूं नहीं पिला सकता। गैस चलती छोड एक पर दूध और दूसरी पर चाय पत्ती, पानी और दूध डालकर चीनी लेने चला गया।
टाइम बचाने के लिए सुभिक्षा की जगह पास की दुकान पर पहुंच गया। भीड लगी थी, पर जुगाड भिडाकर 17 रुपए किलो वाली चीनी 17.50 रुपए किलो ली और घर आ गया। घर पहुंचा तो पता चला चाय की पत्ती और दूध का काडा बन चुका है और दूध आधे से ज्यादा भगोनी से बाहर है।
खैर हिलेरी का नाम लेकर हिम्मत नहीं हारी और चाय बनाकर ही दम लिया।
वाह री अपन की जिंदगी, सोचा साला थडी पर चला जाता तो ठीक था। इतनी नौटंकी तो नहीं होती।
अब अपनी व्यथा आपको बताई, बस शादी करने की सलाह को छोडकर कोई और तरीका हो तो बताइयेगा। क्यूंकि ये इलाज तो लोगों ने मेरी पहली बार कविता पढकर ही बता दिया।
(आपका टाइम खोटी किया इसके लिए क्षमा प्रार्थी)
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5 comments:
राजीव बस शादी कर ले.. और कोई तेरी मदद नहीं कर सकता हैं मैं भी ऐसा ही कुछ करने की सोच रहा हूँ
पर चाय की फोटो तो बड़ी जोरदार है। :)
फोटो देखकर हमने तो सोचा की नीबू वाली चाय बनाकर आपने दोस्त को पिलाई ।
यार राजीव का बताएं हमहूं परेशान है इ लोगन से। छोटी मुसीबतों से निपटने के लिए तो बड़ी मुसीबत ले आने की सलाह दे देते हैं इस सब;)
क्या राजीव मैंने तो सुना था आप बहुत अच्छी चाय बनाते हैं, ये तो शुक्र मनाइए कि मैं किसी दिन आ नहीं धमकी। वरना सोचिए क्या हाल होता आपका
दोस्तों से कहो कि चीनी और दूध ले कर मिलने आऎं.. नहीं तो तुम्हे घर बुलाएं..
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