
जयपुर साहित्य समारोह के पहले दिन बुधवार को फिल्म अभिनेता देव आनंद साहब आए। आफिस नहीं जाना था तो अपन भी डिग्गी पैलेस पहुंच गए। यहां देव साहब को अपनी आत्मकथा ‘रोमांसिंग विद लाइफ’ के बारे में चेन्नई की नर्तकी और कंटरीज ऑफ द बॉडी की लेखिका तिशानी दोषी से बातचीत करनी थी।
चौरासी साल के देव साहब को नजदीक से देखकर मैंने पाया कि वो इतने डाउन टू अर्थ है, कि आप बॉलीवुड की चमक दमक और स्टारडम में जीने के बाद ऐसी उम्मीद नहीं कर सकते। वे चाहने वालों की इतनी इज्जत करते हैं कि आदमी को उन फिदा हुए बिना नहीं रह सकता। यूं समझ लीजिए कि वे एक ऐसे मोटिवेटर हैं, कि अगर आप घोर निराशा में हों तो बातचीत के बाद खुश होकर ही लौटेंगे। यानी जिंदगी को पॉजीटिवनेस की और ले जाएंगे।
पहले ही सवाल के जवाब में देव साहब ने कहा कि मैं लेखक नहीं हूं, यूं समझिए कि ओटोबायोग्राफी में जिंदगी का पैकअप किया है। इस किताब के बारे में एक और खास बात कि उन्होंने यह पूरी किताब का डाफट हाथ से लिखा गया, कम्प्यूटर की मदद से नहीं।
वे लडकियों में बेहद चर्चित रहे हैं तो उनके फैन्स और वहां आए लोगों में बडी संख्या उनकी थी, जिन्हें जवानी के दिनों में देव साहब खूब भाते रहे होंगे।
बातचीत के दौरान ‘आई लव चेजिंग गर्ल्स’ कहने वाले देवसाहब से ओपन सेशन में यह सवाल भी कई बार पूछा गया कि आप पर लडकियां मरती थीं, आप खूबसूरती के सच्चे कद्रदान हैं। आपकी नजर में खूबसूरती क्या है।
देवानंद का कहना था कि जो दिल को भा जाए वही खूबसूरती है। लडकी के मामले में चाहे वो काली हो गोरी हो। जिंदगी के मायने में, काम के मामले में अलग अलग पैमाने हैं। वे इस मौके पर अपनी ही फिल्म गाइड का डायलॉग बोलना नहीं भूले।
जिंदगी एक ख्याल है
जैसे मौत एक ख्याल है ना सुख है न दुख है
न दीन है न दुनिया सिर्फ मैं, मैं और मैं
उनसे जब यह कहा गया कि आप लोगों के दिल में इस कदर बैठे हुए हैं कि चित्तौडगढ में तो फोर्ट देखने आए हर सैलानी को वहां खडा गाइड खुद को राजू गाइड ही बताता है। कभी चित्तौडगढ आइये, देवानंद ने कहा कि बुलाइये जरूर आऊंगा। बस कोई लेक्चर की उम्मीद मत कीजिएगा हां, अगर कुछ याद आ गया तो मुझे भगवान भी कोई काम करने से नहीं रोक सकता।
यही वो जिंदादिली थी, जिसके अपन कायल हो गए। वर्ना 84 साल का एक आदमी यह बोले कि मैं जिंदगी में किसी की परवाह नहीं करता, लोग तो कुछ न कुछ बोलेंगे ही। चिंता न कीजिए। एसी उम्मीद देव साहब को छोडकर किससे कर सकते हैं।
मैंने सवाल किया कि आपकी उम्र मेरे दादा के बराबर की है, फिर भी आप आज भी मुझसे ज्यादा यंग लगते हैं। आपकी यंगनेस का राज क्या है।
कॉम्पलीमेंट के लिए शुक्रिया कर हंसते हुए देव साहब बोले कि मैं पॉजीटिव सोचता हूं, दुनिया की चिंता नहीं करता। जो अच्छा लगता है वही करता हूं। वर्ना अब तक तो कई बार मर चुका होता। वे कहते हैं कि जिंदगी में अनुभव होते हैं, वे खराब भी हो सकते हैं और अच्छे भी। लेकिन आप खराब के साथ ज्यादा समय तक जी नहीं सकते। मैं झटकों (सेटबैक्स) को भूल जाता हूं, इसलिए हमेशा नया और तरोताजा रहता हूं।
देव साहब ने कहा कि आपका राजस्थान काफी खूबसूरत है विशेषकर सर्दी के मौसम में। उन्होंने कहा कि मुझे यहां कि खूबसूरत पगडियां, साडियां, लोग अच्छे लगते हैं। सर्दी के मौसम में तो मैं चाहता हूं कि यहीं रहूं।
इस सवाल पर कि अगर आप एक्टर, डायरेक्टर या लेखक नहीं होते तो क्या होते।
बोले बिना एक्टिंग के देवानंद हो ही नहीं सकता।
उन्होंने एक और बेहद रोचक बात बताई कि उनके घर और उनकी कंपनी नवकेतन में बहुत सारे लोग काम करते हैं। पर फोन वे खुद ही उठाते हैं। देव साहब बोलते हैं कि यह इसलिए जरूरी है कि मुझे भी तो पता चले कि कौन मुझसे बात करना चाहता है। एक और बात वे कहते हैं कि मैं कभी किसी को मिलने से मना नहीं करता। क्योंकि मैं कर ही नहीं सकता, क्योंकि उस पर मेरा कोई हक ही नहीं है।
देवसाहब ने इमरजेंसी के बाद फिल्म इंडस्टरी के लोगों के साथ मिलकर नेशनल पार्टी ऑफ इंडिया नाम से एक पॉलिटिकल पार्टी बनाई। लेकिन वो कामयाब नहीं हो सकी। उनके राजनीति में सक्सेफुल नहीं होने के कारण पूछने पर उन्होंने कहा कि उस समय समय कम था, चार हफते बाद चुनाव थे। जिन लोगों को चुनाव में खडा होना था, वे पीछे हट गए। ज्यादातर सितारे चाहते थे कि वे मनोनीत होकर राज्यसभा में जाएं।
सबसे निजी बात, पूरा मामला तो अपन को पता नहीं पर कोई उषा चौपडा हैं, जिनकी खूबसूरती के देवसाहब लडकपन से कायल रहे हैं। लेकिन अफसोस कि उनकी यह चोपडा मेम कहां हैं, देवसाहब खुद भी नहीं जानते। वाजपेयी के साथ लाहौर गए तो भी उन्होंने उन्हें ढूंढने कि कोशिश की। वे कहते हैं कि आज भी लोग मुझे कही मिल जाते हैं तो उषा चोपडा के बारे में बताने की कोशिश करते हैं। हाल ही में गोवा फिल्म फेस्टिवल के दौरान देव साहब को इटली से आए एक दल ने भी उषा चोपडा को जानने की बात कही। अगर कोई जानता हो ऊषाजी को तो प्लीज अपन के देव साहब को जरूर बताइयेगा।
(तकनीकी कारणों से आज मोबाइल से फोटोग्राफस डाउनलोड नहीं किए जा सके, जल्द देख सकेंगे)
3 comments:
मज़ा आ गया पढ़कर..सचमुच देव साहब का तो मैं भी बहुत बड़ा फैन हूँ..आप को मिलने का मौका लगा बधाई हो...
भई वाह
वाह, बड़ा अच्छा लगा पढ़कर.
देवासाहब से मिलना तो जाने कब होगा, अब जब आपने बता ही दिया है कि फोन वे ख़ुद उठाते हैं, तो कम से कम "नवकेतन" का फोन नम्बर ही दे दीजिये. लगा कर देख लेंगे.
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