Saturday, April 5, 2008
हिमांशु व्यास को न्यूज फोटोग्राफी में गोल्ड अवार्ड
जयपुर के हिमांशु व्यास को न्यूज फोटोग्राफी के लिए इफ्रा का गोल्ड अवार्ड मिला है। उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स, जयपुर के लिए जोधपुर जिले के एक गांव में हिरण को दूध पिलाती विश्नोई महिला के चित्र का चित्र खींचा था। विश्नोई जाति के लोग अपने प्रकृति और वन्यजीवों से प्रेम के लिए विख्यात हैं। सलमान खान को चिंकारा के शिकार मामले में जेल तक पहुंचाने में विश्नोई लोगों ने अहम भूमिका निभाई थी।
इसके साथ साथ राजस्थान पत्रिका, जयपुर को सर्वश्रेष्ठ प्रथम पृष्ठ के लिए इफ्रा की ओर से कांस्य पुरस्कार मिला है। पत्रिका को छपाई के लिए भी इफ्रा का पुरस्कार मिल चुका है।
हिमांशु व्यास और राजस्थान पत्रिका को बधाई।
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3 comments:
ऐसे ही तो नहीं ना इस देश की मातायें पूजी जातीं.....इन करोड़ों देवियों को कोटि कोटि नमन.........राजीव जैन जी, वाईल्ड लाइफ एक्टिविज़म वाली बात तो ठीक है और हिमांशु व्यास जी को इतना बड़ा पुरस्कार भी मिला ...वे बधाई के पात्र हैं....लेकिन फोटो देख कर रह रह कर एक मन कचोट रहा है कि ऐसा फोटो खींच कर और अखबार में छाप कर क्या हम ने किसी के पर्सनल स्पेस में इंट्रयूड तो नहीं कर दिया......डाक्टर के साथ साथ एक लेखक/ पत्रकार होने के कारण कुछ ज़्यादा ही सोचने की बीमारी से ग्रस्त हूं.......कोई बात नहीं, धीरे धीरे ठीक हो जाऊंगा......कहना तो और भी कुछ चाहता हूं लेकिन फिर कभी, जैन जी। Indeed this picture provided us a view of Peaceful Co-existence .... an expression which is heard so many times in holy congregations but such noble souls ( like this maa!) are actually practising it !!
अगर हो सके तो इस मां तक यह भी पहुंचा दीजिये कि उस के हम सब कितने आभारी हैं ...for she is cradling simultaneously two organizations !
आप पत्रकार होने के नाते इस मां के बारे में और लिखियेगा (प्रिंट मीडिया में भी )....वैसे भी कल विश्व-स्वास्थ्य दिवस है और इस बार डब्लयू एच ओ पर्यावरण संरक्षण पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है।
धन्यवाद।
सारी, जैन जी, टिप्पणी पर civilisations की बजाये organisations लिख गया ...........और हम लोगों की प्रायर्टाइज़ेशन में गड़बड़ी की हद देखिये कि टिप्पणी भेजने के बाद मन में एक बिल्कुल हल्का-फुल्का विचार यह भी आया कि इस तरह की नायिकाओं को फोटो खींचने वालों को तो बड़े बड़े मैडल मिले लेकिन जो लोग यह सब कुछ जी रहे हैं उन्हें भी क्या कभी कोई मैडल मिलेगा....हां, मिलेगा , जब आप जैसे पत्रकार इन के बलिदान, इन की भावनाओं, इन के प्रेम-वात्सल्य के बारे में बार-बार लिख कर समाज के सामने रखेंगे।
बधाई हिंमांशु जी को। डा. प्रवीन की बात सही लगती है कि उस महिला को क्या मेडल मिलेगा? :)
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