Saturday, April 18, 2009

सर्किल नहीं मौत का कुआं है


जयपुर शहर सडक हादसों से कितना भयभीत है। इसका उदाहरण यह फोटो देखकर आसानी से लगाया जा सकता है। जयपुर का एक बडा चौराहा है, गुर्जर की थडी। रोज रोज सडक दुर्घटनाओं के बाद यह इतना कुख्‍यात हो गया है कि एक सडक हादसे में एक दंपती की मौत के बाद लोगों ने दो दिन तक यहां प्रदर्शन किया। कॉर्नर में सडक हादसे की वजह रहे शनि मंदिर को लोगों ने खुद तोड डाला। और तो और अपने खर्चे पर एक बोर्ड लगवाया जिस पर सूचना लिखवाई गई कि यह चौराहा नहीं मौत का कुआं है। यह चित्र जयपुर में ही मेरे एक वरिष्‍ठ साथी और हम सबके चहेते अभिषेकजी ने मुझे खासतौर पर भेजा।

15 comments:

cartoonist ABHISHEK said...

thanx rajeev

कुश said...

पिछले कुछ समय से होने वाली दुर्घटनाओ के बाद से मैं इस रास्ते से जाना अवोइड ही करता हूँ..

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

यह नेताओं की अकर्मण्यता का भी सबूत है..अगर ऐसा नहीं होता तो समय रहते उचित कार्यवाही कर ली गयी होती और निर्दोष जानें बचाई जा सकतीं थीं.

Anil Kumar said...

फोटो बड़ा करके देखा तो लगा कि कुछ छेड़छाड़ हुयी है?

अविनाश वाचस्पति said...

खड़ा कुंआ
अपना प्रचार करता कुंआ
देखिए एक कुंआ कर रहा है
हुंआ हुंआ
न जाना इसके
नियां नियां।

-कौतुक said...

सवारी पर बैठने के बाद पता नहीं धीरज कहाँ चली जाती है. अपने से बड़ी गाडी से प्रतियोगिता, अपने से छोटी गाडी को दबा कर चलने की प्रवृत्ति और नियमों के प्रति कोई आदर नहीं. जब तक दुर्घटना नहीं होती हम यह मानने को राजी ही नहीं होते कि यह हमारे साथ भी हो सकता है.

एक घटना याद आती है, मेरे एक दोस्त के पास मोटरसाइकिल हुआ करता था. उसे एक चीज से बहुत चिढ थी, "लेग गार्ड". मैंने उस से पुछा कि लेग गार्ड क्यों नहीं लगाया. कहता है मुझे अच्छा नहीं लगता. मैंने कहा कभी कुछ हुआ तो टंगे चली जायेंगी. उसने कहा "कुछ नहीं होता". मैंने कहा "यह एक ही बार होता है". दो दिन के बाद मिला तो उसने लेग गार्ड लगवा रखा था.

काश यही बात हर गाडी चलने वाले को समझ में आ जाती कि घटक दुर्घटना एक ही बार होती है ओर उसी से बचने के लिए सावधानी ओर नियमों के पालन में अहतियात बरतने की जरूरत है.

दिनेशराय द्विवेदी said...

इस चौराहे से मै भी अनेक बार गुजरा हूँ। मुझे पूरा विश्वास है कि जिस दिन जनता जाग्रत हो जाती है उस दिन वह बहुत कुछ बदल देती है। बदलाव हमेशा भला होता है।

pinkcity jaipur city said...

i also read nd saw this ...but i did not saw that way......

its good

डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल said...

यह चौराहा वाकई खतरनाक है. लेकिन इससे भी खतरनाक है हमारी ड्राइविंग. अगर लोग सावधानी से ड्राइव करें तो खतरे बहुत कम हो जाएं. ल्गों की गैर ज़िम्मेदाराना ड्राइविंग के लिए सरकार को दोष देना कितना वाज़िब है? आपने देखा नहीं कि चौराहे पर सिपाही को चकमा देने में लोग कितने कौशल का उपयोग करते हैं, और अगर सिपाही न हो तो फिर जैसे उनके लिए कोई ट्रैफिक नियम होता ही नहीं. ऐसे में तो यह चौराहा क्यो, कोई भी जगह मौत का कुआ कही जा सकती है.

TARUN JAIN said...

bhai me bhi ek baar yahi bal bal bacha tha

Tarun Bharat Wadhwa said...

good one sir,,, even I covered a lot of accident news on the same point

PD said...

are, meri didi ka ghar to bas vahin pas me hai aur main anginat bar vahan se gujar chuka hun.. vaise pichli bar 2 sal pahle gaya tha..

ye bhi sach hai ki main niyamo ka palan karne ke chakkar me vahan road cross karte samay bahut samay leta tha.. koi traffic rule nahi, kuchh bhi nahi.. bas sabhi ko F1 Driver banne ki sanak sawar rahti thi..

varsha said...

samvednaon bhari jugalbandi abhishek-rajeev donon ko mubarak.shahar ke traffic mahkme par tamacha hai yah janta ka.

shivraj gujar said...

bahut hi marmik.

rakhee said...

shani mandir riddhi siddhi par hai jabki ye snap gaujar ki thadi ki hai