Saturday, January 5, 2008

साइबर आसमां में हिंदी ब्‍लॉगों की उडान


जयपुर से प्रकाशित राजस्‍थान पत्रिका ग्रुप के हिंदी अखबार डेली न्‍यूज में 3 जनवरी को हिंदी ब्‍लॉग जगत पर समीक्षात्‍मक लेख छपा है। पूरा लेख आप यहां पढ सकते हैं।

हिंदी के गलियारों में ब्‍लॉग और चिटठाकारिता जैसे शब्‍द खूब चर्चित हुए, बीते साल भर में ब्‍लॉग की संख्‍या 500 से 1500 हो गई, अभिव्‍यक्ति को मानो पंख लग गए।

हम ब्लॉगिंग को ‘ईवेंट ऑफ द ईयर’ भी कहें तो कोई अतिश्‍योक्ति नहीं होगी। बदलते परिदृश्‍य में ब्‍लॉग तेजी से लोकप्रिय हुआ। 2007 की शुरुआत में हिंदी ब्‍लॉग्‍स की संख्‍या करीब 500 थी, जो साल के अंत में 1500 हो गई।
ब्‍लॉग की जीत में सबसे बडी बात थी यूनिकोड फान्‍ट का प्रचार प्रसार, जिसने हिंदी चिटठाकारिता को प्राणवायु दी। हिंदी भाषा के डायनमिक फांट से हिंदी फांट को लेकर होने वाली सभी दिक्कतें खत्म हो गईं। अभिव्‍यक्ति जैसी हिंदी साहित्‍य की वेबसाइट यूनिकोड में आ गई। गूगल ने हिंदी सर्च और हिंदी वर्तनी की जांच सुविधा गूगल डॉक्‍स में उपलब्‍ध कराई। माइक्रो सॉफट ने विस्‍टा लॉन्‍च किया, जिससे हिंदी लिखना आसान हो गया और मुफ़्त फ़ॉन्ट परिवर्तक भी जारी किया। लिनिक्स भी पीछे नहीं रहा और भारत में बॉस जारी किया।
गूगल ने हिन्दी चिट्ठाकारों के लिए हिन्दी ट्रांसलिट्रेशन औजार जोड़ दिया। इसके बाद तो मानों हिंदी ब्‍लॉगिंग को पंख लग गए।
इस साल की सबसे बड़े ब्लाग इवेंट एग्रीगेटर नारद का मोहल्ला ब्‍लॉग से विवाद और इसके बाद मैथिली गुप्‍त का नया एग्रीगेटर ब्लागवाणी बनाना है। ब्‍लॉगवाणी तुरंत ही हिट हो गया और अब ब्‍लॉगवाणी पर 500 से ज्‍यादा ब्‍लॉग रजिस्‍टर है। अब तो इन चिट्ठासंकलकों यानी एग्रीगेटर्स के बीच जमकर प्रतियोगिताएं चल रही हैं कि कौन ज्यादा से ज्यादा सुविधाएँ दे सकता है। और इससे हिन्दी का ब्लॉग लेखक खुश है पर, उनकी आपसी खींचतान अप्रिय, व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप के स्तर पर आ पहुंची थी जिसका अफसोस इस वर्ष हम सभी को रहेगा। संकलक अब हिन्दी चिट्ठों को आसान रोमन लिपि में भी दिखाने लगे।
साल की दूसरी बडी चिटठा हलचल कम्युनिटी ब्लॉग के रूप में भड़ास का जन्म, अचानक यशवंतजी का उसको खत्‍म करना और उसका पुर्नजन्म लेकर 100 सदस्य बनाना बडा मामला था।
बीते साल की एक और बडी घटना है ब्लागर्स मीट यानी चिटठा मिलन समारोह। इसमें ऑनलाइन पहचान के चलते लोग ऑफलाइन यानी कि साथ बैठकर दोस्‍ती को आगे बढाने की कोशिश में लग गए। ब्‍लॉग ने अभिव्‍यक्ति का एक मंच प्रदान किया।

नौसिखियाओं के साथ साथ साहित्‍यजगत के बड़े बडे नामधारी ब्लागिंग की दुनिया में आए। साहित्यकार और कथाकार उदय प्रकाश का ब्लाग, अभिनेता आमिर खान का ब्लाग। इसके अलावा ढेरों दिग्‍गज पत्रकार ब्‍लॉग लेकर आए।

ब्‍लॉग पर ऐसे ऐसे सब्‍जेक्‍टस पर चिंतन मनन हुआ जिसकी हम कम से कम हिंदी मीडिया में तो कल्‍पना नहीं कर सकते। हिंदी ब्लॉग्‍स पर इस साल व्यावसायिकता का सवाल बहुत दमदार तरीके से डिस्कस किया गया। हिंदी ब्लॉगिंग क्या रूप अख्तियार कर रही है और उसका क्या रूप होना चाहिए पर बहस पुरजोर तरीके से हुई है, सराय द्वारा प्रायोजित नीलिमा चौहान और गौरी पालीवाल की हिंदी चिट्ठाकारिता पर की गई रिसर्च भी इसी क्रम में काबिले गौर है। सामाजिक राजनीतिक और नैतिकता से जुडे मसलों पर तीखी बहसों को बहुत तवज्जो मिली ।
जुलाई में चलती रेलगाड़ी से पहला हिन्दी ब्‍लॉग लिखा गया। इसने हिन्दी में व्यवसायिक चिट्ठाकारी को सफल होने में खासा योगदान भी दिया।

ब्‍लॉग भी कम्‍यूनिकेशन का एक माध्‍यम है अगर इसकी चर्चा भी संचार के दूसरे माध्‍यमों पर होने लगे तो यह सही मायनों में ब्‍लॉग की जीत है। इस बात को हम ठीक उसी तरह समझ सकते हैं, जैसे फिल्‍म समीक्षा अखबार और टेलीविजन पर होती है। इसका मतलब है कि अखबार या टेलीविजन चैनल दोनों को पता है कि फिल्‍में अहम हैं और उसकी समीक्षा की जानी चाहिए। ब्‍लॉग की समीक्षा की शुरुआत को इसी परिप्रेक्ष्‍य में लिया जाना चहिए कि ब्‍लॉग जगत में क्‍या चल रहा है, इससे लोग इत्‍तेफाक रखने लगे हैं।
हिन्दी ब्लॉग जगत में पत्रकारों के पदार्पण के बाद पहले प्रिंट मीडिया और फिर इलेक्‍टॉनिक मीडिया में हिन्दी ब्लॉगों के चर्चे होने लगे। यूं तो हलचल पहले भी हो रही थी, परंतु राष्ट्रीय अख़बार में पहली पहल हिन्दुस्तान टाइम्स में हुई, और बाद में एनडीटीवी के शनिवार सुबह के कार्यक्रमों में हिन्दी ब्लॉगों के अच्छे खासे चर्चे होते रहे। कादंबिनी में ब्‍लॉग पर लेख छपा, हिंदी अखबारों में ब्‍लॉग पर नियमित कॉलम शुरू हुए। जनसत्‍ता में टीवी पत्रकार और मोहल्‍ला वाले अविनाश ब्‍लॉग समीक्षा लिखते हैं। मतलब, हिंदी भाषियों की भावनाओं को ऑनलाइन पंख लग गए हैं। उम्‍मीद कीजिए, रोजगार का नया क्षेत्र खुलने वाला है।

7 comments:

Anonymous said...

राजीव अच्‍छा लिखा है और फोटो के साथ छपने के लिए बधाई हो

mamta said...

धन्यवाद इस खबर को सबके साथ बांटने के लिए।

रवि रतलामी said...

यह आलेख इस चिट्ठे से प्रेरित नहीं लगता?-इंटरनेटी हिन्दी - 2007 कैसे बीता साल?

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

क्या राजीव, छाए हुए हो, फोटो-शोटो क्या बात है लेकिन ये तो ठीक नहीं, यार हमारा जिक्र भी नहीं। कम से कम पिंकसिटी के ब्लागर्स का जिक्र तो कर दिया होता।

डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल said...

बहुत उम्दा आलेख के लिए बधाई. उम्मीद है इस आलेख को पढकर कई लोग ब्लॉगिंग की तरफ आयेंगे.

Sanjeet Tripathi said...

बढ़िया लेख!
रवि जी के सवाल से सहमत!

राजीव जैन said...

रवि जी आपसे प्रेरित होना लाजमी था आपने इतने खूबसूरती से साल भर को इकट़ठा किया।