Saturday, January 12, 2008
डूबती संस्कृत को तिनके का सहारा
डूबते को तिनके का सहारा वाली पुरानी कहावत यहां भी लागू होती है। अखबार पढ रहा था तो इस खबर पर नजर पडी। बस अपन से रहा नहीं गया। आप भी देखिए राजस्थान पत्रिका की यह खबर।
अमेरिकी जिले में मनाया जाएगा संस्कृत दिवस
न्यूयार्क। अमेरिका के पश्चिमी राज्य नेवाडा के वाशू जिले में शनिवार को संस्कृत दिवस मनाया जाएगा।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार वाशु जिला आयोग के अध्यक्ष ने कहा, हम घोषणा करते हैं वाशु जिला संस्कृत भाषा के महत्व को समझते हुए 12 जनवरी को संस्कृत दिवस के रूप में मनाएगा। इस जिले की आबादी करीब चार लाख है।
इस मौके पर प्रख्यात हिंदू पुरोहित राजन जेड स्थानीय निवासियों के लिए संस्कृत भाषा पर कक्षाएं और व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे। आयोग की ओर से की गई इस घोषणा में कहा गया है कि, पश्चिम में हिंदू धर्म का तेजी से विस्तार हो रहा है। ऐसे में जरूरी है कि लोग हिंदुत्व के बारे में जानें। इसके लिए लोगों को संस्कृत की मौलिक जानकारी होनी चाहिए।
उम्मीद कीजिए की संस्कृत की देश में भी कोई सुध ले।
कोई पढ रहा है क्या
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3 comments:
बहुत ही शानदार
भइया, एक कहावत है। "घर का जोगी जोगड़ा, आन गांव का सिद्ध"।
शायद पूरी दुनिया मे यही हालत है।वैसे खबर अच्छी है।
संस्कृत के लिये ये बड़ी अच्छी खबर है।
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