Monday, January 14, 2008

अपन विदाउट पतंगबाजी, सो सैड :(

आज मकर संक्रांति है और जयपुर इस मौके पर अपनी पतंगबाजी के लिए मशहूर है। पतंगबाजी ऐसी कि देशी ही नहीं विदेशी भी चाव रखते हैं, लेकिन अपन आज पतंगबाजी से महरूम रहे। कारण अपन का मकान मालिक।
यूं तो अपन टू रूम सेट लेकर अपने एक दोस्‍त के साथ शहर के सबसे पॉश इलाकों में शुमार किए जाने वाले बजाज नगर में पहली मंजिल पर रहते हैं।

अपन की बालकॉनी।

अब ये पॉश इलाके में रहना है तो इसकी पॉशियत को तो भोगना ही होगा। यूं तो अपन से मकान मालिक ने कह दिया था कि छत पर आपकी एंटरी नहीं होगी। पर करीब एक साल तक शांतिपूर्वक रहने और बिना शिकायत के आप रहें तो आप उम्‍मीद कर सकते हैं कि ऐसे त्‍योहार पर बैचलर्स या किराएदारों को मकान मालिक खाने या त्‍यौहार में शरीक होने का निमंत्रण दे। (हो सकता है, मैं गलत हूं) पर अपन को करीब करीब पूरा दिन बीत गया, नेट पर ही चिपके रहे, यानी नो पतंगबाजी। देख भी नहीं सकते क्‍यूंकि बालकॉनी से मजा नहीं आता थोडे ही हिस्‍से का व्‍यू मिलता है और वहां भी धूप नहीं। बस इतना जरूर है कि गाने जरूरी सुनाई दे रहे हैं, जिससे सो नहीं पाया। :((
अब जो मैं कहना चाहता था वो यह कि इस पॉशियत के चक्‍कर में लोग सामाजिकता भूल गए हैं। अपन तो छोटे शहर के रहने वाले हैं इतना समझते हैं कि ऐसे मौकों पर छत पर भीड लग जाती थी। और तो और जिनकी छत नीचे होती थी, वो भी ऊंची छत वालों के मकान से पतंगबाजी करते थे। होली तो ऐसा त्‍योहार होती थी कि कोई बचने की कोशिश करता तो उसे दीवार फांदकर या येनकेन प्रकारेण घर से निकाल लाते।
उम्‍मीद करता हूं अपन के मकान मालिक यह नहीं पढ रहे होंगे, पढ लें तो शायद हकीकत से रूबरू हो जाएं, आपकी नजर में कोई ढंग का मकान मालिक हो तो बताएं

6 comments:

Ashish Maharishi said...

गोली मारों इस मकान को और दूसरा घर ले लो

Sanjeet Tripathi said...

बावा, शहरीकरण की चुकाई जाने वाली कई कीमतों मे से एक यह भी है।

Sanjay Karere said...

च च च च..भास्‍कर रो क्‍लासीफाइड पढ़ो हुकुम

विवेक रस्तोगी said...

हा हा हा ये पतंग उड़ाने का मजा लेने के बारे में तब सोचना था जब किराये पर लिया था।

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

मुझे कहते राजीव , मेरी छत पर कोई पतंग उड़ाने वाला नहीं था। मुझे उड़ानी नहीं आती पति को शौक नहीं है। आस-पास से सुबह पांच बजे से ही तेज संगीत की आवाज से पता चल गया कि आज संक्रांति है और लोग दिन भर पतंग उड़ान वाले हैं।

Melanie said...

Loved rreading this thank you