Thursday, April 9, 2009

सिर्फ तस्‍वीरें और कैप्‍शन


मथुरा रेलवे स्‍टेशन पर लालूजी को ढूंढ रही थी उनकी गाय

जयपुर में प्रेस क्‍लब वालों की चली
तो शायद दोपहर का डिनर भी मिला करेगा


हवामहल की दीवारें
शायद
इनके प्रेम के इजहार के लिए ही ये जगह खाली छोडी गई थी

आवश्‍यकता अविष्‍कार की जननी है
ये फैक्‍स मशीन और कम्‍यूटर पर एक की दबाने से काम पूरा करना हो तो
लकडी का ये गुटका भी काम आ सकता है
ये हमारे उत्‍तमजी के दिमाग की उपज है।



गोवधर्नधाम की परिक्रमा में मिले मुझे ये पूर्वज जी
शायद इनको तस्‍वीरें खींचवाने का तगडा शौक है।

इसलिए भाग जाते हैं चोर, क्‍यूंकि पुलिस ही उनके साथ बैठकर ताश खेलने में व्‍यस्‍त है
(मैंने यह तस्‍वीर एक रेलयात्रा के दौरान बडे डरते डरते ली, कहीं पुलिस की नजर पडी और मुझे एक पडी)

9 comments:

समयचक्र said...

bahut hi joradar . sach hai . badhai.

MUMBAI TIGER मुम्बई टाईगर said...

प्रिय राजीव,

बधाई हो क्रियेटिवफोटुग्राफी के लिऐ

बहुत ही सुन्दर।

कडुवासच said...

.... sundar.... majedaar!

TARUN JAIN said...

darte hue bhi aacha prayas kiya aapne

डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल said...

भाई वाह!
कितनी कोशिशें करनी पड़ी होंगी ऐसीदिलचस्प तस्वीरें लेने के लिए! बधाई.

Harshvardhan said...

kya kamal kim tasveere laaye ho bhai... bahut sundar.....

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

लेकिन आप में से किसी ने राजीव ने ये नहीं पूछा कि वो मथुरा रेलवे स्टेशन और ट्रेन में कर क्या रहे थे, जी वो सगाई करके लौटे हैं। राजीव सगाई और आने वाले जीवन के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

उन्मुक्त said...

नीलिमा सुखीजा जी की चिट्ठी से आपकी सगाई की खुशखबरी मिली - बधाई।

डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह said...

प्यारे राजीव जी ,सुंदर लेकिन आँख खोल्देने वाले ब्लॉग की बधाई ,घुमते घुमते आप तक पहुंचा हूँ पर मज़ा आ गया ,आपकी दृष्टि की तारीफ करूंगा वरना देखते तो सभी हैं /मेरी अमित शुभकामनायें
सदर
डॉ.भूपेन्द्र