
रेस एक ऐसी फिल्म है, जिसकी कहानी पल-पल बदलती है। आप बाकी हिंदी फिल्मों की तरह सोचते जाते हैं। कहानी आगे बढती जाती है, लेकिन अंत तक पहुंचते-पहुंचते आपको लगता है कि आप गलत सोच रहे थे। फिल्म में कई बार स्टोरी बदलती है।
फिल्म की कहानी आधारित है दो भाइयो पर। इनमें से बडा भाई है रणवीर शौरी रॉनी यानी अक्षय खन्ना और छोटा भाई है राजीव यानी अक्षय खन्ना।
छोटा भाई अक्सर हर फिल्म की तरह बिगडैल है, शराबी है देर से उठता है, लडकियों के पीछे घूमता है। बडा भाई घोडों पर दाव लगता है, पर बिजनेस के लिए सीरियस है, घोडों से बहुत प्यार करता है।
छोटे भाई को इस बात का मलाल है कि मरते समय उसके पिता ने सारा बिजनेस बडे भाई के नाम कर दिया। अब हर जरूरत की चीज के लिए उसे भाई की तरफ हाथ फैलाना पडता है।
फिल्म का सबसे इंपॉर्टेंट प्वाइंट है कि, पिता ने मरते समय दोनों भाइयों के नाम 50-50 मिलियन डॉलर की पॉलिसी करा दी। किसी की मौत पर दूसरे को 100 मिलियन डॉलर मिलेंगे। बस इसी को हासिल करने के लिए पूरी फिल्म की कहानी चलाती है।
तिगडमी राजीव बडे भाई रॉनी को मारने का प्लान बनाता है। अब ये नहीं लिख रहा कि प्लान में कौन कौन शामिल है वर्ना अगर आप फिल्म देखने बैठ गए तो गालियां देंगे कि सारा सस्पेंस शामिल कर दिया।
बस पूरी फिल्म में मजेदार यही है, कि आप जैसा सोचते हैं आम बॉलिवुड फिल्म की तरह वैसे-वैसे होता चला जाता है, लेकिन अंत आते आते आपको पता चलता है कि यही चीज नई थी, जो आप पकड नहीं पाए।
फिल्म के गाने कर्णप्रिय हैं। दोनों ही हिरोइन खूबसूरत लगी हैं, कैटरीना रॉनी की सेक्रेटरी बनीं हैं और बिपाशा रॉनी की प्रेमिका और थोडे टाइम के लिए राजीव के गेमप्लान की पार्टनर। दोनों ही हिरोइन ने डेसेज बहुत छोटी और सुंदर पहनी हैं। सैफ के लुक पर डायरेक्टर ने खूब काम किया है। सैफ जब जब पर्दे पर आते हैं, सीटियां बजती हैं।
फिल्म में इंस्पेक्टर बनें है आरडी राबर्ट डिक्सटा यानी अनिल कपूर, जो अपनी बेटी समान समीरा रेडडी के साथ भी हमउम्र लगते हैं। अनिल के चिर युवा होने का राज अपन को पता नहीं चला।
वैसे फिल्म में अनिल कपूर के फल खाने वाले सारे डायलॉग द्विअर्थी हैं।ा पता नहीं आपको समझ आए या नहीं पर मेरे आजू बाजू आगे पीछे कॉलेज स्टूडेंट बैठे थे तो उनके ठहाकों के साथ ही अपन समझते रहे।
जॉनी लीवर फिल्म में पांच मिनट के लिए आते हैं, अपने पुराने स्टाइल में सबको हंसा हंसा कर लोटपोट करते रहते हैं। यानी कुल मिलाकर टाइमपास मूवी है। सीखने को कुछ नहीं है पर बोर नहीं करती।
इंश्योरेंस वाले बेवकूफ हैं क्या
फिल्म से एक चीज अपन को समझ आ गई, कि इंश्योरेंस वाले बेवकूफ होते हैं। उस आदमी की मौत पर 100 मिलियन डॉलर क्लेम में दे देते हैं, जो मरा ही नहीं।
3 comments:
वाकई...हमने भी देखी..क्न्फ्यूजिया गये.
आपने भी इस तथ्य को स्थापित करने की कोशिश की है छोटी ड्रेसेज में ही हीरोइनें सुंदर दिखती हैं। आप जैसे चहेतों के बल पर ही इस फैशन ने इतना जोर पकड़ा है। इस सतकॅता के लिए धन्यवाद कि आपने फिल्म का सस्पेंस कायम रहने दिया।
सही पकड़ा आपने साहब...
इतना चकरघिन्नी बनाए हैं कि सिर चक्कर खाने के लायक भी नहीं रह जाता...
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