Saturday, September 13, 2008

जरा बैकअप से पुरानी वाली एहतियात दे दो


दिल्ली में शनिवार को ब्लास्ट हुआ। जयपुर, अहमदाबाद से पहले ब्लास्ट का शिकार बन चुका है। मीडिया की नौकरी है संवेदनशील मामला है, इसलिए हमें भी अपने शहर के दर्द को फिर से कवर करना था। इतने में बॉस का आदेश मिला कि बम से बचने के लिए एहतियात भी जरा छाप देना। रिपोर्टर को चीफ रिपोर्टर साहब का आदेश मिला, भई वो बैकअप से पुलिस की एहतियात वाली जानकारी क्या करें, न करें चला दो।
बस इसी लाइन से मुझे लगा कि हम कितने आदी हो गए हैं इन सब चीजों के (पहले सिर्फ एक्सिडेंट थे, अब ब्लास्ट भी शामिल हो गए हैं) कि तीन महीनों में तीन बार ये एहतियात छापनी पड़ गई।

3 comments:

Anonymous said...

एहतिहात, एतिहात, एहतियात .... ??? क्‍या है भई ?

Dileepraaj Nagpal said...

dekho aapne etna badhiya likha aur hindi diwas tha, esliye kisi ne hindi ki galtiyan nikalne me hi dhyan diya.

Harinath said...

राजीव जी आपने बिल्कुल सही लिखा है. हम कितने आदी हो गए हैं. जब दिल्ली में विस्फोट की खबर सुनाई पड़ी तो लगा की सरकार की ओर से कोई सबसे कड़ा कदम अगले ही दिन उठाया जयेगा. सरकार की क्या कहें हम अपनी बात ख़ुद ही बताते हैं. अहमदाबाद में विस्फोट के बाद अगले दो तिन दिन तक पूरे पूरे दिन केवल विस्फोट पर चर्चा होती रही. लेकिन दिल्ली में विस्फोट की घटना अबकी बार लोगो की और हमारे भी चर्चा का विषय नही रहा. आप ने विल्कुल सही लिखा की अब हम आदी हो गये इन विस्फोटों के. लेकिन कब तक ??????????????