Friday, March 28, 2008

हर लिहाज से बेहतर थी जोधा अकबर

रिलीज के महीनों बाद जोधा अकबर देखी। अब आप कहेंगे कौनसा तीर मार लिया। जनाब अगर राजस्‍थान में रिलीज होती तो शायद हम पहले रविवार तक ही इसे देख लेते पर क्‍या करें। प्रदर्शनकारियों की वजह से मैं तो क्‍या पूरा राजस्‍थान यह फिल्‍म नहीं देख पाया।
अब पायरेटेड वीसीडी से मैंने यह फिल्‍म देखी,पायरेसी गलत है पर क्‍या करें पता नहीं कितने साल बाद राजस्‍थान में रिलीज होती और पता नहीं इसकी ओरिजनल सीडी कब तक आएगी।

विवादों को किनारें कर दें, तो फिल्‍म बहुत ही खूबसूरत है, और यूं कहिए कि अब तक बनी एतिहासिक फिल्‍मों की सर्वश्रेष्‍ठ फिल्‍मों में से एक है।
जश्‍न ए बहार गाना बेहद खूबसूरत और कर्णप्रिय है। आप भी लीजिए मजा।

फिल्‍म में बेवजह की भव्‍यता नहीं दिखाई गई है। युद़ध के सीन बेहद अच्‍छे और राजा का कारवां सचमुच इतना लंबा है कि हम सोच सकते हैं कि उसे फिल्‍माने में कितनी मेहनत करनी पडी होगी।
केपी सक्‍सेना के डायलॉग चुस्‍त दुरुस्‍त हैं, एआर रहमान का म्‍यूजिक जबरदस्‍त है, अजीमो शान शहशाह के साथ जो ढोल सुनाई देते हैं, वही मुगल सलतनत होने का अहसास करा देते हैं। वैसे मैं भजन नहीं सुनता पर जोधा अकबर का भजन छोड के अपनी मथुरा काशी दिल को छूने वाला है।
रितिक और ऐश ने बहुत अच्‍छी तरह अकबर और जोधा के करेक्‍टर को जिया है। संवाद अदायगी भी अच्‍छी है। अकबर के रोल में पृथ्‍वीराज कपूर की छवि को तोड एक पतले दुबले अकबर ने उनकी कमी महसूस नहीं होने दी।
फिल्‍म थोडी लंबी जरूर थी, पर कहीं भी बोर नहीं करती। ढूंढाढ जैसा शब्‍द और कई राजस्‍थानी परंपराएं दिखाई देती है। भले वह दुल्‍हन के घर में प्रवेश के समय छाप लगाना हो,या राजपूती परंपरा में जंवाई का पहली बार लेने आने पर अपनी पत्‍नी को पहचानने की रस्‍म भी दिखाई गई।
बस आमेर के किले से फिल्‍माते समय आशुतोष गोवारीकर साहब की नजर शायद एक बार चूक गई और छतरी के साथ शायद मोबाइल का टावर दिखाई दे गया।

आमेर महल और सिटी पैलेस को बेहद खूबसूरती से फिल्‍माया गया है।
फिल्‍म के सेट पर पैसा खर्च किया गया है, पर संजय लीला भंसाली की तरह बेवजह नहीं, गोवारीकर साहब ने उतना ही खर्चा जिसकी जरूरत थी। भव्‍यता के चक्‍कर में वो हकीकत से दूर नहीं हुए।
और अंत में दर्शकों को अमिताभ का प्रेम बांटने का संदेश। शायद यह टोटका है अमिताभ की खुद की फिल्‍म भले ही फलाप हो जाए पर उनकी आवाज का इस्‍तेमाल जिस भी फिल्‍म में किया जाता है, फिल्‍म चल निकलती है।
आमीन
एक आग्रह गोवारीकर साहब और यूटीवी से
भई अब तो इसकी ओरीजनल डीवीडी रिलीज कर दीजिए ताकी जो लोग अभी तक जोधा अकबर नहीं देख पाए, असानी से देख सकें।

9 comments:

PD said...

patna me cinema hall me parivar ke sath jakar film dekhna sach me ek bara chalange hai.. aur jab main is bar ghar gaya tha to meri mummy ne mujhe saaf-saaf bol diya tha ki main dekhungi to bas original print hi...
so hame bhi intezar hai iske DVD ya VCD release hone ka, jise main mummy ko gift kar sakoon.. :)

Sanjeet Tripathi said...

ह्म्म, मैने कल ही देखी है डीवीडी पे यह फिल्म!!
है तो शानदार बिलाशक़!!
रितिक ने अपनी तरफ से अकबर के रोल में जान डाल दी है पर जनमानस का क्या करें कि अकबर की छवि में एक अदद बुलंद आवाज़ तो कम से कम जरुरी लगती ही है!!
जैसे आपको मोबाईल टॉवर दिख गया वैसे ही अपन को यह दिख गया कि एक दृश्य मे जनाब अकबर माचिस की तीली से मोमबत्ती जलाते हैं ;)

Harinath said...

लगता है अब जुगाड़ करना ही पडेगा. आप ने तो देख ली पर अभी हम नही देख पाए.

Ghost Buster said...

अभी तक नहीं देखी. कोई विशेष उत्कंठा भी नहीं है. ओरिजनल cd आने के बाद कभी मन हुआ तो देख लेंगे.

Anonymous said...

आपकी राय से सहमत हूं. पर सच ये भी है कि इतिहास से थोड़ी छेड़छाड़ जरूर हुई है. इसका पड़ताल करना जरूरी है.

Udan Tashtari said...

देख ली है पर आपके आगे क्या कहूँ. :) चुप ही रहता हूँ.

Giriraj agrawal said...

paayrated c.d. par film mat dekha karo. kisi din police pakad la jaegi to akhbar wale jamanat bhi nahi karaenge. tumhara itna watan bhi nahi hoga jo mukdma lad sako.

GKK said...

i am completely agree with the rajeev that film was better in each and every department whether its ritik's dance in Sufi song or azeem o shaan Song. all power house performance were there. but only question remains abouth History. who knows the truth? who will decide? does it morally correct to halt the screening or film or does it morally correct to disturb the feeling of a particular community. that will remain a mystery. Thats how our great country works

GKK said...

i am completely agree with the rajeev that film was better in each and every department whether its ritik's dance in Sufi song or azeem o shaan Song. all power house performance were there. but only question remains abouth History. who knows the truth? who will decide? does it morally correct to halt the screening or film or does it morally correct to disturb the feeling of a particular community. that will remain a mystery. Thats how our great country works