Thursday, September 4, 2008
क्रेडिट कार्ड वालों को भगाने का एक्सक्लूसिव तरीका
कल दोपहर की बात है। सोकर उठ गया था, टाइम पास कर रहा था कि एचडीएफसी बैंक से क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए दिल्ली के एक लैंडलाइन नंबर से फोन आया। मैं भी मजे लेने के मूड में था इसलिए सीरियसली बात करने लगा। पूछा क्या क्या डिटेल्स हैं। गोल्ड कार्ड देने के साथ साथ एक पेट्रो कार्ड और एक एडिशनल कार्ड पर 40 हजार से दो लाख तक की लिमिट ऑफर की गई। मैंने साथ कि साथ हिडन चार्ज का नाम लेकर कई सवाल दाग दिए। वन इंट्रेस्ट रेट से लेकर कई और बात समझाने लगा।
फाइनली वह एग्जीक्यूटिव घर भेजने के लिए तैयार हुआ, तो डिटेल कन्फर्म करने के लिए पूछा कि सर आप करते क्या हैं। बताया कि उसे पत्रकार हूं। बस फिर क्या था। बजाय मेरे खुद ही बोला सॉरी सर यह तो नेगेटिव प्रोफाइल है। हम लोग जनüलिस्ट्स को क्रेडिट कार्ड इश्यू नहीं करते!
मुझे तो वैसे भी क्रेडिट कार्ड लेना नहीं था। पर मुझे लगा कि शायद यह नुस्खा कई लोगों के काम आ सकता है। बस क्रे डिट कार्ड के लिए फोन आए और आपको पीछा छुड़वाना हो तो सीधे बोलिए, सर पत्रकार हूं, बताएये। हो सकता है आपको बार बार की परेशानी से मुक्ति मिल जाए।
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7 comments:
पत्रकार को कार्ड नहीं मिलता... बडे़ मजे़ है..
हा हा!! सही है तरीका!!
पहले बताया होता :-)
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एक अपील - प्रकृति से छेड़छाड़ हर हालात में बुरी होती है.इसके दोहन की कीमत हमें चुकानी पड़ेगी,आज जरुरत है वापस उसकी ओर जाने की.
बहुत ही अच्छे.पत्रकारों और पुलिस को बैंकों ने निगेटिव प्रोफाइल में बहुत दिनों से रख रखा है. पर आप का पाला अभी पड़ा होगा. वैसे फोन पर बात करने वाली घटना मजेदार है.
फ़ायदा मिला या घटा हुआ आपको ?
तो क्या क्रेडिट कार्ड वाले पत्रकारों से नही डरते या डर कर नही देते कार्ड ?
राजीव ये अच्छा तरीका बताया आपने , हम भी रोज के ऐसे पोन से परेशान हो चुके हैं।
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